आयो रे आयो रे आयो रे,
रंगीलो सावन आयो रे।
भायो रे भायो रे भायो रे,
सावन मोरे मन को भयो रे।
नभ में छाय रही है बदरिया,
चम- चम चमक रही है बिजुरिया।
लगी मानो मोतिन की है लड़िया,
पपीहा टेरे दिन दुपहरिया।
*ऐसे में भला न किसका*,
*है मन हर्षायो रे।*
*आयो रे आयो रे आयो रे*,
*रंगीलो सावन आयो रे।
मस्तमौली वर्षा रानी,
बड़ी झूम- झूम के नाचे।
सारी गांव नगरिया इधर-उधर वह,
घूम- घूम के नाचे।
*मेवाड़ धरा की घेवर खुशबू,*
*कहां न जायो रे ।*
*आयो रे आयो रे आयो रे,*
*रंगीलो सावन आयो रे।*
सतरंगी लहंगा चोली में,
बींदड़ी फूले न समाती।
मेघा ने लिखी जो पाती,
उसे ढूंढ- ढूंढ के लाती।
*उत्तर प्रदेश और बिहार में,*
*गुझिया मन को भायो रे।*
*आयो रे आयो रे आयो रे,*
*रंगीलो सावन आयो रे।*
हाथों में मेंहदी रची है,
हर गोरी के सावन में।
भर- भर के हरी- हरी चूड़ी,
पायजेब बजे पावन में।
*चूड़ी, पायल की रुनझुन,*
*पिया मन को भाया रे*
*आयो रे आयो रे आयो रे,*
*रंगीलो सावन आयो रे।*
हरियर निमिया की डाली पर
झूले की है पींगे।
झूले किशन कन्हैया,
और उनके अंग – अंग हैं भींगे।
*सावन माह में है मानव ,*
*बड़ा प्यार पायो रे।*
*आयो रे आयो रे आयो रे,*
*रंगीलो सावन आयो रे।*
मनभावन यह रूत है सुहानी,
रिमझिम फुहार है ।
आकुलता दूर कहीं छिप गई,
ठंडी बही बयार है।
*इन मनमोहक उपादानों से,*
*सरा जग हर्षायो रे ।*
*आयो रे आयो रे आयो रे,*
*रंगीलो सावन आयो रे।*
सखियां हिल -मिलके हैं आईं,
कजरी गीत बड़ा वो गाईं।
धरती से अंबर तक देखो,
प्रीत की रीत हैं वो फैलाईं
*सखियों की झीनी चुनरिया,*
*मितवा मन को भायो रे।*
*आयो रे आयो रे आयो रे,*
* *रंगीलो सावन आयो रे।*
साधना शाही, वाराणसी
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