अनोखा पर्व भाई दूज

सनातन धर्म भरा बड़ा ही प्यारा,
उत्सव हरता है दुख सारा।

भाई दूज जिसमें है एक,
भाई-बहन खुश जिसमें प्रत्येक।

रक्षाबंधन सा यह‌ महत्वपूर्ण,
जो भाई -बहन के रिश्ते को करता संपूर्ण।

शुक्ल पक्ष और कार्तिक माह,
द्वितीय तिथि को इसकी चाह।

बहन भाई को तिलक लगाती,
छप्पन भोग है उसे खिलाती।

भविष्य हो उज्जवल करती कामना,
सुंदर ,सात्विक इसकी भावना।

खुशियाॅं घर में ये छिटकाएँ,
वो भी इतनी की सीमट न पाएँ।

कुमकुम रोली से थाली सजातीं,
अधरों पर मुस्कान ले आतीं।

अमर रहेगा इनका प्यार,
हम ना कहें कहे संसार।

शत-शत दुआ ये देकर जातीं,
प्यार हुलास ये लेकर जातीं।

धर्म ना इसमें आड़े आता,
जज्बातों को यह है जगाता।

बस जिस दिल से प्यार है उमड़े,
भाई- बहन के रिश्ते सुघड़े।

यह अद्भुत बंधन है भैया,
प्रीत की और प्यार की छैयाॅं।

स्नेह अभिव्यक्ति बहना देती,
मंगलगान से मंगल करती।

स्नेह की गंगा उसके अंदर,
वो भी इतना भरे समंदर।

भाई पर वो वारी जाए,
दुख- विपदा से वो लड़ जाए।

बचकाने के लड़ाई- झगड़े,
मन को आह्लादित करें तगड़े।

प्रेम का दीप उल्लास की बाती,
आशीष घनेरी छाकर जाती।

जग में जहां रहो तुम भैया,
खुशहाली दें अंबे मैया।

आजीवन रिश्ता रहे खास,
कभी न टूटे हमारा विश्वास।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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