जिंदगी जो भी दे सब कुछ हंसकर हासिल है,
क्या चाह है मेरी यह बताने का समय नहीं।
जो दिल के करीब हैं बस वही अपने हैं,
बेवजह सबको अपना कहने का कोई वजह नहीं।
जो अपने हैं वे चेहरा देखते ही दिल का दर्द समझ जाते हैं,
बेगानों को दर्द दिखाने का नहीं करते हम मूर्खता।
आंधी तूफान सभी के संग मुस्कुराती हूं,
बसंत की बहारों के लिए दिल कभी नहीं दुखता।
जिन्हें मेरे वक्त, मेरे एहसास की कीमत ही नहीं,
अब मेरा दिल भी उन बेगैरतों के लिए कोई जज़्बात जताना छोड़ दिया।
जिन्हें गुरूर है ,अपने रंग रूप और अपनी संपदा पर,
मैंने भी उनके घर अब आना- जाना छोड़ दिया।
जो वास्तव में अपने हैं, वे हर हाल में अपने होंगे,
बेवजह अपनेपन का मैं दिखावा नहीं करती।
बेगाने भी यदि अपनों से दिल के करीब हैं ,
तो कभी मैं उनसे छलावा नहीं करती।
जिंदगी के सफ़र ने , मुझे सिर्फ़ इतना ही सिखाया है,
बुरे वक्त पर जो हाथ थाम ले बस वही अपना है ,
और जो मुंह मोड़ ले, अपना होकर भी पराया है पराया है।
साधना शाही, वाराणसी
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