अमीर और गरीब

बड़े बुजुर्ग कहते थे
जंजाल अच्छा कंगाल नहीं अच्छा है
किंतु
क्या धन से गरीब को ही कंगाल कहते हैं
नहीं
मैंने अनेकानेक धन से गरीब
किंतु मन से बड़े ही अमीर लोगों को देखा है।

जिनकी तिजोरी सोने-चांदी, जवाहरात से नहीं भरी होती है
लेकिन जिनका अंतर्मन
सदवृत्ति, सत्कर्म, दया, माया से भरा हुआ होता है।
जिनकी हर सांस
देश, समाज व मनुष्य कल्याणार्थ
ही धड़कती है।

और ईश्वर का दिया हुआ यह
वह धन है जिसे न कोई छीन सकता है ,
न चुरा सकता है,
और ना ही इसे कोई बाॅंट सकता है
वरन यह धन मनुष्य के साथ जीवन पर्यंत रहता है ।

और जब वह धरा को छोड़ जाता है
तब हम जब भी उसे याद करते हैं
श्रद्धा से नतमस्तक हो जाते हैं
हमारी आंखें नम हो जाती हैं।

और वह जिसकी तिजोरी हीरे, जवाहरात ,रुपए -पैसे से भरी हुई है
किंतु जिसका अंतर्मन लोभ, क्रोध,मोह, दुष्कर्म से भरा हुआ है ।

वह दुनिया का एक ऐसा गरीब इंसान होता है
जिसके पास धन- संपदा तो होती है
किंतु अच्छे विचार ,
अच्छी संगति ,
अच्छे लोग
और अच्छे रिश्ते नहीं होते हैं।

ऐसा मनुष्य इस धरा पर पशु तुल्य होता है
बल्कि यह कहें कि पशु से भी बदतर होता है
तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी
ऐसा व्यक्ति जहां भी जाता है
बुराई ,अंधकार, अनिष्ट, दुर्भावना लेकर जाता है ।

और लोगों के मध्य यही बाॅंटने की कोशिश करता है
वह सदा नकारात्मकता से ग्रसित रहता है
ऐसे में वह मनुष्य के रूप में होते हुए भी कीड़े -मकोड़ों सी
जिंदगी व्यतीत करता है ।

और जब वह धरा को छोड़कर जाता है
तो जब भी लोग उसे याद करते हैं
अपशब्दों के साथ याद करते हैं
उसके जाने से घर ,परिवार, समाज और धरा
मानो सुकून की सांस लेते हैं।

अतः आज आवश्यकता है
धन से नहीं मन से अमीर बनने की
क्योंकि ,
धन से अमीर तो हम गलत रास्तों पर चलकर भी बन जाते हैं
किंतु मन से अमीर बनने के लिए
हमेशा अच्छी संगति ,
अच्छा वातावरण ,
सद्विचार ,अच्छी भावना और सकारात्मक सोच की आवश्यकता होती है
जिसका आज के दौर में अकाल सा पड़ गया है।

यदि हमने अपने अंदर इन सद्गुणों को
पुष्पित -पल्लवित कर लिया
फिर हमारे जैसा अमीर दुनिया में कोई नहीं।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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