पूर्वोत्तर भारत, उत्तर प्रदेश, बिहार में कार्तिक मास ,शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की तैयारी तथा छठ पूजा के मधुर लोकगीतों से पूरा वातावरण खुशनुमा तथा गुंजायमान हो उठता है। तीन दिवसीय छठ महापर्व में घरों तथा घाटों पर छठ के गीत अद्भुत आनंद की अनुभूति कराते हैं। इन गीतों को महिलाएं समूह में गाते हुए 36 घंटे का व्रत कैसे कर लेती हैं ,कुछ समझ में नहीं आता।

तो आज की मेरी नई कविता भी छठ माॅं को समर्पित
👏👏👏👏👏👏

हम करब ए मईया बरती तोहार,
संझा सबेरे करब आरती तोहार।

तोहरी बरतिया जनम भर करब,
जब तक जिंदगी कबहुं नाहीं छोड़ब।

तोहरे ही आस मैया, तोहरे विश्वास बा,
तोहरे ही कृपा से धरती आकाश बा।

धनीअउर निर्धन सबही तोहके पूजेला,
वृष्टि दया के होला तन- मन
भींजेला।

अपना आशीष क छाया में रखिह,
बाधा- बिघन के हे मईया! तू तजिह।

मंगिया के सिंदूर अमर कई दीह,
गोदिया के ए मैया! सदा भरी दीह।

करीह कृपा दीह आशीष हजार,
जिंदगी के रोशन करिह हमार।

उगते अउर डुबते सुरूज हम पूजब,
दुखवा बिपतिया से कबहुॅं ना जुझब।

दउरा अऊर सुपवा सजाईब फलवा से,
घटिया रोशन होई मोरा डलवा से।

नदिया के घाट सगरो सज जाला,
नारियल केला ह सगरो बिकाला।

तोहरे भगति मैया अपरंपार बा,
तोहरे भरोसे मैया हमार संसार बा।

भूल- चूक गलती के माफ़ करी दीह,
कलुषित मनवा के साफ़ करी दीह

हरियर बांस के बॅंहगी तोहार,
संझा सबेरे करब आरती तोहार।

तोहरी बरतिया जनम भर करब,
रऊरी बरतिया कबहुं नाहीं छोड़ब।

तोहरे ही आस मैया, तोहरे विश्वास बा,
तोहरे ही कृपा से धरती आकाश बा।

धनीअउर निर्धन सबही तोहके पूजेला,
वृष्टि दया के होला तन मन
भींजेला।

अपना आशीष क छाया में रखिह,
बाधा बिघन के हे मईया तू तकीह।

मंगिया के सिंदूर अमर कई दीह,
गोदिया के ए मैया सदा भरी दीह।

करीह कृपा दीह आशीष हजार,
जिंदगी के रोशन करिह हमार।

उगाते अउर डुबते सुरूज हम पूजब,
दुखवा बिपतिया से कबहु ना जुझब।

दउरा अऊर सुपवा सजाईब फलवा से,
घटिया रोशन होई मोरा डलवा से।

नदिया के घाट सगरो सज जाला,
नारियल केला ह सगरो बिकाला।

तोहरे भगति मैया अपरंपार बा,
तोहरे भरोसे मैया हमार संसार बा।

भूल- चूक गलती के माफ़ करी दीह,
कलुषित मनवा के साफ़ करी दीह‌।

हरियर बॅंसवा के बहॅंगी ले आईब,
फलवा के दउरा से ओकरा सजाईब।

साधना शाही,
वाराणसी🙏🙏🙏🙏

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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