आज विजय दिवस है कारगिल का,
पूरा भारत खुशी मनाएगा।
जाति ,धर्म व मजहब से,
वो ऊपर उठ जाएगा।
कभी ना करना हमसे हिमाकत,
मुंहतोड़ जवाब तुम पाओगे।
मुल्क की सरहद कभी न छूना ,
वर्ना गीदड़ सा लथड़ाओगे।
60 दिनों तक युद्ध चला यह,
छद्मी छद्म को त्याग न सकता,
लाख वो मुंह की खाता जाए,
नापाक इरादों से भाग न सकता।
527 शेर शहादत पाए,
1200 गीदड़ भी मरे।
अदम्य साहसी भारतीय सैनिक ,
52 वीर हिमांचली खोए।
इन्हें नमन कर देश था रोया,
विक्रम बत्रा सा वीर महान।
20 जून 1999 को 5140 चोटी छीने,
पूरा विश्व देख हुआ हैरान।
परमवीर चक्र पाने वाले,
संजय भी कोई कम ना थे।
मस्को वैली पर तैनात हो,
ताड़केश्वर से दम में थे।
कारगिल की बात चले ,
और खुशहाल ठाकुर का जिक्र न हो ।
तोलोलिंग पर कर लिए कब्जा,
इनके रहते कोई फ़िक्र न हो।
कर्नल विश्वनाथ को मिली शहादत ,
खुश ,खुशहाल की गोदी में।
खुशहाल फहराए विजय पताका,
टाइगर हिल की चोटी में।
नवाज शरीफ़ ने किया खुलासा,
नापाक मनसा परवेज की थी।
परवेज ने मुह था मोड़ा,
आतंकवाद की खेती थी।
कारगिल भूमि से गीदड़ भागे,
भारतीय जांबाज थे विजय किए।
केसर की क्यारी हुई सुरक्षित,
पाक बाल न बांका कर पाए।
वीरों ने था खून से सींचा,
कश्मीर की वादी को ।
नापाक पाक कभी छीन न पाया,
भारत की आजादी को।
सरहद पर वो प्राण गंवाकर,
जीना मरना सिखलाए।
सीमा पर वे लहू बहाकर,
देश में चैन का कुसुम खिलाए।
साधना शाही, वाराणसी
Also Read – महत्ता सावन माह की