कुंदन बनना आसान नहीं,
कायर का यह काम नहीं।
यह अति वारों को सहता है,
तब जाकर कुंदन बनता है।

एक बार नहीं ;कई बार है तपता,
तब होता है कनक खरा ।
एक बार हार भी जाओ तो,
मन में बस हो उत्साह भरा।

कभी राह बंद हो जाए तो ,
तुम उससे ना घबरा जाना ।
तुम कर्मवीर हो कर्मवीर सा,
नया मार्ग बना लेना।

मत घबराना आंधी तूफान से,
बस पथ पर तुम बढ़ते जाना।
एक दिन बाधाएं थम जाएंगी
उनको तुम रौंद के चल देना।

फूलों की सेज यदि चाहते हो तो,
कांटों से भी प्यार करो।
जीवन समर है ना घबराओ,
कहता जो है उसे कहने दो।

तुम कर्म करो आगे बढ़ लो,
सब राग द्वेष को भूलो तुम।
असंभव से तुम दूर रहो,
खुशियों के झूले में झूले तुम।

भाग्य नहीं सब कुछ देखता
मानव कुछ अर्जित करता है
अर्जन में व्यवधान जो आए,
उसको नतमस्तक करता है।

प्रकृति उपादानों से सीखो,
कभी न डरना झुकना है ।
एक बार ठान लिए हो तो ,
बस पीछे ना मुड़ना है।

उद्यम; श्रम वह मूल मंत्र है ,
जो सबको सफल बनाता है।
भाग्य भरोसे वही बैठता,
जिसका उद्यम से नहीं नाता है।

यदि राह में आंधी आती है,
उनका रुख तुम मोड़ चलो,
हर गिरि गहवर हट जाएंगे,
उनको मोड़ने का कर होड़ चलो।

पथ सारे बंद यदि भी हैं ,
तो खुद पथ का निर्माण करो।
अभय मार्ग पर बढ़ जाओ,
निज भुजबल से कर त्राण चलो।

साधना शाही वाराणसी

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By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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