ऐ भोले !तेरे चरणों में हम,
शीश झुकाते हैं।
हे प्रभु! तुझको़ हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
तेरा रूप जटा जूट वाला,
तेरे अंगों में है मृग की छाला।
तेरे हाथ कमंडल बिराजे,
तूने पी लिया विष का है प्याला।
तेरे भोले रूप को देखके,
जी उल्लास करते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
श्रावण मास प्रभु तुम आना,
गौरा को भी साथ में लाना।
दास तेरी मैं कर रही विनती,
दाता तुम कहीं भूल न जाना।
तेरे महिमा का आस,
हम दिन रात करते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
मेरे घर -आंगन में पधारो,
मेरे विपदा को प्रभु टारो।
संग विघ्न विनाशक लेके,
मुझे भाव बाधा से तारो।
जग में मेरा भला- बुरा हो,
तुम पर डाल देते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
तुम आदि- व्याधि के हरता,
भक्तों के मंगल करता।
तेरी भक्ति का पान जो कर ले,
बैकुंठ वो धारण करता।
नित तेरे नाम का सुमिरन,
शिव सौ बार करते हैं।
हे प्रभु!तुझको हम ,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
श्रावण माह तुझे अति प्यारा,
तेरे तपिश को हरता सारा।
तुम उतर गए वसुधा पर,
ससुराल भ्रमण किए सारा।
तेरी कृपा दृष्टि की खातिर ,
व्रत सोमवार करते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
साधना शाही, वाराणसी