आओ भक्तो आज करें मां,
योगमाया का जयकारा।

जिनके आगे जग नतमस्तक,
दुष्ट समुदाय सभी था हारा।

मां देवकी के छह पुत्रों का,
कंस किया संहार।

सातवें जो थे गर्भ में आये,
वो थे शेषनाग अवतार।

सातवां गर्भ हुआ स्थानांतरित,
रोहिणी घर जन्मे श्री बलराम।

आठवें गर्भ की आस लगी थी,
वासुदेव देवकी को अविराम।

आठवें गर्भ से जन्मे कान्हा,
बंदीगृह हो गया परिवर्तित।

बंदीगृह के ताले टूटे,
पहरेदार हुए सब मूर्छित।

उसी समय गोकुल की धरा पर,
यशोदा घर उपजीं योगमाया।

अत्याचारी का अंत करने को,
भगवन ने यह खेल रचाया।

कान्हा देख दंपति हुए विह्वल,
तत्काल उन्हें गोकुल पहुंचाए।

बदले में रोहिणी की
योगमाया,
तत्परता से मथुरा लाए।

कारागृह में योगमाया आईं,
सब कुछ पहले सा हो गया था।

नवजात शिशु का रोना सुनकर,
अविलंब कंस कारागृह पहुंचा था।

शिशु कन्या को पटक धरा पर,
कंस था वध करने को तत्पर।

कन्या छूटी उसके कर से,
उड़ी अनंत कंस देखे रह-रहकर।

अचानक कंस हाथ से छूटीं,
उड़कर पहुंच गईं आकाश।

कंस वध की कीं भविष्यवाणी,
भौचक्का था कंस हताश।

दिव्य रूप कन्या का देखकर,
लीला वह कुछ समझ न पाया।

क्या ?क्यों? कैसे ?
सोच -सोच कर,
पीटा माथा सर चकराया।

विंध्याचल की विंध्याचल देवी,
योगमाया का ही हैं रूप।

इनका दर्शन कर लो भक्तों,
देवी का है रूप अनूप।

योगविद्या, महाविद्या रूप है इनका,
कृष्ण के संग जो जाके मिली थीं।

कंस, चाणूर, मुष्टिक आदि असुरों का,
मर्दन संग में मिलके करी थीं।

मां से जो भी प्रीत लगा ले ,
हर विपदा को ये हर लेंगी।

दुष्टों को भी ये हैं तारी,
भक्तों के संकट क्यों ना हरेंगी।

साधना शाही,वाराणसी

प्रिय पाठकों,
वैसे तो मैं अपने लेख को सब प्रकार से शुद्ध बनाने की पूरी चेष्टा करती हूं ।किंतु, यदि अज्ञानतावश कहीं कोई त्रुटियां ,अशुद्धियां रह गई हों तो उनके लिए क्षमा मांगते हुए पाठकों से अनुरोध करती हूं कि वो मुझे अपने टिप्पणियों एवं सुझावों से अवगत कराकर लेखनी में उत्तरोत्तर उन्नति करने में सहयोग दें । ताकि भविष्य में उनका सुधार किया जा सके। 🙏🙏🙏🙏🙏

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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