फरवरी का महीना और वैलेंटाइन डे की धूम
फरवरी का महीना आते ही चारो तरफ वैलेंटाइन डे की तैयारियां जोर -शोर से दिखने लगती हैं। और फरवरी का दूसरा सप्ताह तो लाल गुलाब, चाॅकलेट जैसी चीजों से सज जाता है । नए अविवाहित और विवाहित जोड़ों के लिए तो यह सप्ताह किसी पर्व से कम नहीं होता।

काऊ हग डे और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड


वैलेंटाइन डे की धूम के दौर में इस बार भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आने वाले 14 फरवरी को काऊ हग डे के तौर पर मनाने की अपील किया था ।जिसे सुनकर कुछ विरोधी पार्टियों ने इसका विरोध जताया और मज़ाक उड़ाया। उनका कहना था यह फैसला सही नहीं है इसके बाद केंद्र सरकार ने 10 फरवरी शुक्रवार को इसे वापस ले लिया।

काऊ हग डे मनाने के पीछे भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की दलील

14 फरवरी को गाय को गले लगाने की अपील के पीछे केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है । गाय का हमारे जीवन में बड़ा ही उच्च स्थान है। इसीलिए हम भारतीय गाय को गौ माता कह कर पुकारते हैं ।इसके साथ ही गाय मां के समान पोशक भी है। यह मानवता को परिलक्षित करती है। किंतु कितनी अफ़सोसजनक बात है कि आज पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण वैदिक परंपराएं विलुप्त होने के कगार पर आ चुकी हैं। पाश्चात्य संस्कृति के
चकाचौंध ने हमारी भारतीय संस्कृति, विरासत ,सभ्यता इत्यादि को लगभग भुला दिया है ।इसी को मद्देनजर रखते हुए 14 फरवरी को
काऊ हग डे मनाने का फैसला लिया गया था।

पालतू जानवरों का मनुष्य का तनाव कम करने में है अहम भूमिका


ऐसा माना जाता है कि पालतू जानवर मनुष्य के तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं । इन जानवरों में कुत्ते और बिल्लियों को सबसे ऊपर रखा जाता है। किंतु हमारे देश भारत में गाय को इस श्रेणी में सर्वोपरि माना जाता है।
हालैंड के नाम से मशहूर देश नीदरलैंड के एक गांव से एक परंपरा शुरू हुई जिसे आज पूरी दुनिया में बड़ी तेज़ी से अपनाया जा रहा है ।ऐसा कहा जाता है कि नीदरलैंड में को नफलेन जिसका अर्थ है गाय को गले लगाना यह परंपरा अति प्राचीन है। वहां के लोगों का यह मानना है कि गाय को गले लगाने से मानसिक बीमारी से राहत मिलती है।

एनिमल थेरेपी


यहां हम आपको एक बात बताना आवश्यक समझते हैं कि एनिमल थेरेपी का कांसेप्ट आज कुछ नया नहीं है यह अत्यंत प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। किंतु यदि हम बात भारत की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक लाभदायक जानवर गाय है ।वर्ष 2007 में एक अध्ययन किया गया जिससे पता चला है कि गाय के गर्दन और पीठ पर कुछ खास नरम हिस्सों को सहलाने से उसे अच्छा महसूस होता है और वह आपकी एक अच्छे मित्र हो जाती है। गांव में रहने वाले लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि शायद यही कारण है कि गाय को दूहने से पहले उसे प्यार से सहलाया जाता है।

गाय को सहलाना मनुष्यों के लिए है फायदेमंद


आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गाय के को सहलाना सिर्फ़ गाय के लिए ही नहीं वरन संपूर्ण मानव जाति के लिए लाभकारी होता है। यदि हम बीबीसी रिपोर्ट की मानें तो गाय के साथ दोस्ताना व्यवहार करने से मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है हमारे अंदर का तनाव कम होता है हमारे अंदर अहम ऑक्सीटाॅसिन हार्मोन बढ़ता है। पालतू जानवरों के साथ खेलने से हमारे शरीर और मन को शांति तथा संतुष्टि मिलती है उसमें भी स्तनधारी पशुओं के साथ खेलने तथा मित्रवत व्यवहार करने से यह संतुष्टि तथा शांति अधिक मिलती है।

अकेलेपन को दूर करते पालतू जानवर


कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए हम मनुष्य ऐसे घर में कैद हुए और सामाजिक गतिविधियों से दूर हो गए कि दुनिया भर के लोग अकेलेपन तथा मानसिक बीमारियों के शिकार हो गए ।ऐसे में ‌ यह माना जाता है कि घर में कुत्ते और बिल्लियों को पालना तनाव दूर करता है ।लेकिन उनके अलावा अन्य जानवर भी स्ट्रेस बुस्टर का कार्य करते हैं।उनके साथ जुड़ना मनुष्य के तनाव को दूर करता है।।

मानसिक बीमारी को दूर करने में जानवरों का साथ है कारगर

बेनिफिट्स ऑफ एनिमल असिस्टेंट थेरेपी इन मेंटल हेल्थ नाम के एक लेख के अनुसार विशेषज्ञों ने एक सुझाव दिया कि पालतू जानवरों को गले लगाने या उनके संपर्क में आने से शरीर में खुशी और आराम बढ़ाने वाले हारमोंस बढ़ने लगते हैं जो ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को कम करने में मदद करते हैं तथा मानसिक बीमारी से जुड़ी समस्याओं को कम करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

भारतियों के लिए गाय सबसे पवित्र पशु


भारतवर्ष में गाय को अत्यंत पवित्रता की नज़र से देखा जाता है। इसे मां के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां तक कि इसे देवता तुल्य भी माना जाता है। ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए गाय को गले लगाना कोई नई बात नहीं है ।यह नई बात है शहरों में निवास करने वाले लोगों के लिए। जिनके लिए गाय का कोई विशेष महत्व नहीं है उनके लिए गाय सिर्फ़ एक दूध देने वाले जानवर से अधिक कुछ भी नहीं है। वे इस बात से अनभिज्ञ कि भारतियों का गायों के साथ भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव सदियों से रहा है और आगे भी बना रहेगा।

आज भारत से ज्यादा विदेशों में है गाय से आत्मीयता


आज हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल होकर जिस गाय को भारतवर्ष में गौ माता, कामधेनु समझा जाता है उसके महत्व को भूल गए हैं । आज भारत वर्ष से अधिक विदेशों में उनकी कद्र है । आज काल से लिपट कर अपनी अनेकानेक बीमारियों को दूर करना विदेशों में एक प्रोफेशन और कमाई का जरिया बनता जा रहा है।
नीदरलैंड एक ऐसा देश है जहां पिछले कई वर्षों से वहां के लोग गाय से लिपट कर अपनी आत्मीयता दिखाते हैं और अपने कुछ बीमारियों को दूर करते चले आ रहे हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी शुरुआत 2020 में देखने को मिली जब लोगों ने अपने तनाव को दूर करने के लिए फार्म हाउस में पाली गई गायों के बीच जाकर उनके साथ कई घंटों बिताना प्रारंभ किया।

क्या सच में गाय को गले लगाना है लाभदायक ?

फरवरी का महीना और वैलेंटाइन डे की धूम
फरवरी का महीना आते ही चारो तरफ वैलेंटाइन डे की तैयारियां जोर -शोर से दिखने लगती हैं। और फरवरी का दूसरा सप्ताह तो लाल गुलाब, चाॅकलेट जैसी चीजों से सज जाता है । नए अविवाहित और विवाहित जोड़ों के लिए तो यह सप्ताह किसी पर्व से कम नहीं होता।

काऊ हग डे और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड


वैलेंटाइन डे
की धूम के दौर में इस बार भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आने वाले 14 फरवरी को काऊ हग डे के तौर पर मनाने की अपील किया था ।जिसे सुनकर कुछ विरोधी पार्टियों ने इसका विरोध जताया और मज़ाक उड़ाया। उनका कहना था यह फैसला सही नहीं है इसके बाद केंद्र सरकार ने 10 फरवरी शुक्रवार को इसे वापस ले लिया।

काऊ हग डे मनाने के पीछे भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की दलील

14 फरवरी को गाय को गले लगाने की अपील के पीछे केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है । गाय का हमारे जीवन में बड़ा ही उच्च स्थान है। इसीलिए हम भारतीय गाय को गौ माता कह कर पुकारते हैं ।इसके साथ ही गाय मां के समान पोशक भी है। यह मानवता को परिलक्षित करती है। किंतु कितनी अफ़सोसजनक बात है कि आज पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण वैदिक परंपराएं विलुप्त होने के कगार पर आ चुकी हैं। पाश्चात्य संस्कृति के
चकाचौंध ने हमारी भारतीय संस्कृति, विरासत ,सभ्यता इत्यादि को लगभग भुला दिया है ।इसी को मद्देनजर रखते हुए 14 फरवरी को
काऊ हग डे मनाने का फैसला लिया गया था।

पालतू जानवरों का मनुष्य का तनाव कम करने में है अहम भूमिका


ऐसा माना जाता है कि पालतू जानवर मनुष्य के तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं । इन जानवरों में कुत्ते और बिल्लियों को सबसे ऊपर रखा जाता है। किंतु हमारे देश भारत में गाय को इस श्रेणी में सर्वोपरि माना जाता है।
हालैंड के नाम से मशहूर देश नीदरलैंड के एक गांव से एक परंपरा शुरू हुई जिसे आज पूरी दुनिया में बड़ी तेज़ी से अपनाया जा रहा है ।ऐसा कहा जाता है कि नीदरलैंड में को नफलेन जिसका अर्थ है गाय को गले लगाना यह परंपरा अति प्राचीन है। वहां के लोगों का यह मानना है कि गाय को गले लगाने से मानसिक बीमारी से राहत मिलती है।

एनिमल थेरेपी


यहां हम आपको एक बात बताना आवश्यक समझते हैं कि एनिमल थेरेपी का कांसेप्ट आज कुछ नया नहीं है यह अत्यंत प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। किंतु यदि हम बात भारत की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक लाभदायक जानवर गाय है ।वर्ष 2007 में एक अध्ययन किया गया जिससे पता चला है कि गाय के गर्दन और पीठ पर कुछ खास नरम हिस्सों को सहलाने से उसे अच्छा महसूस होता है और वह आपकी एक अच्छे मित्र हो जाती है। गांव में रहने वाले लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि शायद यही कारण है कि गाय को दूहने से पहले उसे प्यार से सहलाया जाता है।

गाय को सहलाना मनुष्यों के लिए है फायदेमंद


आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गाय के को सहलाना सिर्फ़ गाय के लिए ही नहीं वरन संपूर्ण मानव जाति के लिए लाभकारी होता है। यदि हम बीबीसी रिपोर्ट की मानें तो गाय के साथ दोस्ताना व्यवहार करने से मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है हमारे अंदर का तनाव कम होता है हमारे अंदर अहम ऑक्सीटाॅसिन हार्मोन बढ़ता है। पालतू जानवरों के साथ खेलने से हमारे शरीर और मन को शांति तथा संतुष्टि मिलती है उसमें भी स्तनधारी पशुओं के साथ खेलने तथा मित्रवत व्यवहार करने से यह संतुष्टि तथा शांति अधिक मिलती है।

अकेलेपन को दूर करते पालतू जानवर


कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए हम मनुष्य ऐसे घर में कैद हुए और सामाजिक गतिविधियों से दूर हो गए कि दुनिया भर के लोग अकेलेपन तथा मानसिक बीमारियों के शिकार हो गए ।ऐसे में ‌ यह माना जाता है कि घर में कुत्ते और बिल्लियों को पालना तनाव दूर करता है ।लेकिन उनके अलावा अन्य जानवर भी स्ट्रेस बुस्टर का कार्य करते हैं।उनके साथ जुड़ना मनुष्य के तनाव को दूर करता है।।

मानसिक बीमारी को दूर करने में जानवरों का साथ है कारगर

बेनिफिट्स ऑफ एनिमल असिस्टेंट थेरेपी इन मेंटल हेल्थ नाम के एक लेख के अनुसार विशेषज्ञों ने एक सुझाव दिया कि पालतू जानवरों को गले लगाने या उनके संपर्क में आने से शरीर में खुशी और आराम बढ़ाने वाले हारमोंस बढ़ने लगते हैं जो ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को कम करने में मदद करते हैं तथा मानसिक बीमारी से जुड़ी समस्याओं को कम करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

भारतियों के लिए गाय सबसे पवित्र पशु


भारतवर्ष में गाय को अत्यंत पवित्रता की नज़र से देखा जाता है। इसे मां के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां तक कि इसे देवता तुल्य भी माना जाता है। ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए गाय को गले लगाना कोई नई बात नहीं है ।यह नई बात है शहरों में निवास करने वाले लोगों के लिए। जिनके लिए गाय का कोई विशेष महत्व नहीं है उनके लिए गाय सिर्फ़ एक दूध देने वाले जानवर से अधिक कुछ भी नहीं है। वे इस बात से अनभिज्ञ कि भारतियों का गायों के साथ भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव सदियों से रहा है और आगे भी बना रहेगा।

आज भारत से ज्यादा विदेशों में है गाय से आत्मीयता


आज हम
आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल होकर जिस गाय को भारतवर्ष में गौ माता, कामधेनु समझा जाता है उसके महत्व को भूल गए हैं । आज भारत वर्ष से अधिक विदेशों में उनकी कद्र है । आज काल से लिपट कर अपनी अनेकानेक बीमारियों को दूर करना विदेशों में एक प्रोफेशन और कमाई का जरिया बनता जा रहा है।
नीदरलैंड एक ऐसा देश है जहां पिछले कई वर्षों से वहां के लोग गाय से लिपट कर अपनी आत्मीयता दिखाते हैं और अपने कुछ बीमारियों को दूर करते चले आ रहे हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी शुरुआत 2020 में देखने को मिली जब लोगों ने अपने तनाव को दूर करने के लिए फार्म हाउस में पाली गई गायों के बीच जाकर उनके साथ कई घंटों बिताना प्रारंभ किया।

अमेरिका जैसे विकसित देश में काऊ हगिंग को तेजी से अपनाया जा रहा है


आज कॉउ हगिंग की महत्ता को देखते हुए अमेरिका जैसा विकसित देश भी इसे तेजी से अपना रहा है । आज समूचे अमेरिका में ऐसे बहुत सारे फॉर्म हैं जहां लोगों को गाय को गले लगाने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। आपको यहां यह बताना जरूरी है कि गाय पालना और उनके साथ लोगों को समय बिताने के लिए समय देना वहां का एक प्रोफेशन बन गया है । इसके बदले में वे मोटी फीस लेते हैं।

गाय पर की गई स्टडी बताती है कि उनके साथ लिपटने से होता है खुशी का अहसास


आज दुनिया के विभिन्न देशों में गायों पर जितने भी अध्ययन हुए हैं वे सब बताते हैं कि मनुष्य के मुकाबले गायों में हार्ट बीट कम होती है किंतु उनके शरीर का तापमान ज्यादा होने और उनका आकार बड़ा होने के कारण उसे निपटने वाले मनुष्य को जहां अनेकानेक बीमारियों से निजात मिलती है वहीं एक अनजानी खुशी का भी अहसास होता है।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर

क्या सच में गाय को गले लगाना लाभदायक ?

फरवरी का महीना और वैलेंटाइन डे की धूम
फरवरी का महीना आते ही चारो तरफ वैलेंटाइन डे की तैयारियां जोर शोर से दिखने लगती हैं। और फरवरी का दूसरा महीना तो लाल गुलाब, चाॅकलेट जैसी चीजों से सज जाता है । नए अविवाहित और विवाहित जोड़ों के लिए तो यह सप्ताह किसी पर्व से कम नहीं होता।

काऊ हग डे और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड


वैलेंटाइन डे की धूम के दौर में इस बार भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आने वाले 14 फरवरी को काऊ हग डे के तौर पर मनाने की अपील किया था ।जिसे सुनकर कुछ विरोधी पार्टियों ने इसका विरोध जताया और मजाक उड़ाया। उनका कहना था यह फैसला सही नहीं है इसके बाद केंद्र सरकार ने 10 फरवरी शुक्रवार को ईसे वापस ले लिया।

काऊ हग डे मनाने के पीछे भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की दलील

14 फरवरी को गाय को गले लगाने की अपील के पीछे केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है । गाय का हमारे जीवन में बड़ा ही उच्च स्थान है। इसीलिए हम भारतीय गाय को गौ माता कह कर पुकारते हैं ।इसके साथ ही गाय मां के समान पोशक भी है। यह मानवता को परिलक्षित करती है। किंतु बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आज पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण वैदिक परंपराएं विलुप्त होने के कगार पर आ चुकी हैं। पाश्चात्य संस्कृति के
चकाचौंध ने हमारी भारतीय संस्कृति, विरासत ,सभ्यता इत्यादि को लगभग भुला दिया है ।इसी को मद्देनजर रखते हुए 14 फरवरी को
काऊ हग डे मनाने का फैसला लिया गया था।

पालतू जानवरों का मनुष्य का तनाव कम करने में है अहम भूमिका


ऐसा माना
जाता है कि पालतू जानवर मनुष्य के तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं । इन जानवरों में कुत्ते और बिल्लियों को सबसे ऊपर रखा जाता है। किंतु हमारे देश भारत में गाय को इस श्रेणी में सर्वोपरि माना जाता है।
हालैंड के नाम से मशहूर देश नीदरलैंड के एक गांव से एक परंपरा शुरू हुई जिसे आज पूरी दुनिया में बड़ी तेज़ी से अपनाया जा रहा है ।ऐसा कहा जाता है कि नीदरलैंड में को नफलेन जिसका अर्थ है गाय को गले लगाना की परंपरा अति प्राचीन है। वहां के लोगों का यह मानना है कि गाय को गले लगाने से मानसिक बीमारी से राहत मिलती है।

एनिमल थेरेपी


यहां हम आपको एक बात बताना आवश्यक समझते हैं कि एनिमल थेरेपी का कांसेप्ट आज कुछ नया नहीं है यह प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। किंतु यदि हम बात भारत की करें तो यहां पर सबसे अधिक लाभदायक जानवर गाय है ।वर्ष 2007 में एक अध्ययन किया गया जिससे पता चला है कि गाय के गर्दन और पीठ पर कुछ खास नरम हिस्सों को सहलाने से उसे अच्छा महसूस होता है और वह आपकी एक अच्छी मित्र हो जाती है। गांव में रहने वाले लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि शायद यही कारण है कि गाय को दूहने से पहले उसे प्यार से सहलाया जाता है।

गाय को सहलाना मनुष्यों के लिए है फायदेमंद


आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गाय को सहलाना सिर्फ़ गाय के लिए ही नहीं वरन संपूर्ण मानव जाति के लिए लाभकारी होता है। यदि हम बीबीसी रिपोर्ट की मानें तो गाय के साथ दोस्ताना व्यवहार करने से मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है हमारे अंदर का तनाव कम होता है हमारे अंदर अहम ऑक्सीटाॅसिन हार्मोन बढ़ता है। पालतू जानवरों के साथ खेलने से हमारे शरीर और मन को शांति तथा संतुष्टि मिलती है। उसमें भी स्तनधारी पशुओं के साथ खेलने तथा मित्रवत व्यवहार करने से यह संतुष्टि तथा शांति अधिक मिलती है।

अकेलेपन को दूर करते पालतू जानवर


कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए हम मनुष्य ऐसे घर में कैद हुए और सामाजिक गतिविधियों से दूर हो गए कि दुनिया भर के लोग अकेलेपन तथा मानसिक बीमारियों के शिकार हो गए ।ऐसे में ‌ यह माना जाता है कि घर में कुत्ते और बिल्लियों को पालना तनाव दूर करता है ।लेकिन उनके अलावा अन्य जानवर भी स्ट्रेस बुस्टर का कार्य करते हैं।उनके साथ जुड़ना मनुष्य के तनाव को दूर करता है।। शायद यही वज़ह है कि महानगरों में रहने वाले पूंजीपति लोग कुत्ते ,बिल्ली, खरगोश, सफेद चूहा , रंगीन मछलियां ,कछुआ इत्यादि जानवरों को पालते हैं और उनके साथ समय व्यतीत कर खुशी महसूस करते हैं।

मानसिक बीमारी को दूर करने में कारगर है जानवरों का साथ

बेनिफिट्स ऑफ एनिमल असिस्टेंट थेरेपी इन मेंटल हेल्थ नाम के एक लेख के अनुसार विशेषज्ञों ने एक सुझाव दिया कि पालतू जानवरों को गले लगाने या उनके संपर्क में आने से शरीर में खुशी और आराम बढ़ाने वाले हारमोंस बढ़ने लगते हैं जो रक्तचाप और हृदय दर को कम करने में मदद करते हैं तथा मानसिक बीमारी से जुड़ी समस्याओं को कम करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

भारतियों के लिए गाय सबसे पवित्र पशु


भारतवर्ष में गाय को अत्यंत पवित्रता की नज़र से देखा जाता है। इसे मां के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां तक कि इसे देवता तुल्य भी माना जाता है। ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए गाय को गले लगाना कोई नई बात नहीं है ।यह नई बात है महानगरों में निवास करने वाले लोगों के लिए। जिनके लिए गाय का कोई विशेष महत्व नहीं है उनके लिए गाय मात्र दूध देने वाली एक जानवर है इसेअधिक कुछ भी नहीं । वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि भारतियों का गायों के साथ भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव सदियों से रहा है और आगे भी बना रहेगा।

आज भारत से ज़्यादा विदेशों में है गाय से आत्मीयता


आज हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल होकर जिस गाय को भारतवर्ष में गौ माता, कामधेनु समझा जाता है ,उसके महत्व को भूल गए हैं । आज भारत वर्ष से अधिक विदेशों में उनकी कद्र है । आज गाय से लिपटकर अपनी अनेकानेक बीमारियों को दूर करना विदेशों में एक प्रोफेशन और कमाई का जरिया बनता जा रहा है।
नीदरलैंड एक ऐसा देश है जहां पिछले कई वर्षों से वहां के लोग गाय से लिपट कर अपनी आत्मीयता दिखाते हैं और अपने कुछ बीमारियों को दूर करते हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी शुरुआत 2020 में देखने को मिली जब लोगों ने अपने तनाव को दूर करने के लिए फार्म हाउस में पाली गई गायों के बीच जाकर उनके साथ कई घंटों बिताना प्रारंभ किया।

अमेरिका जैसे विकसित देश में काऊ हगिंग को तेज़ी से अपनाया जा रहा है


आज कॉउ हगिंग की महत्ता को देखते हुए अमेरिका जैसा विकसित देश भी इसे तेज़ी से अपना रहा है । आज समूचे अमेरिका में ऐसे बहुत सारे फॉर्म हैं जहां लोगों को गाय को गले लगाने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। आपको यहां यह बताना जरूरी है कि गाय पालना और उनके साथ लोगों को समय बिताने के लिए समय देना वहां का एक प्रोफेशन बन गया है । इसके बदले में वे मोटी फीस लेते हैं।

गाय पर की गई स्टडी बताती है कि उनके साथ लिपटने से होता है खुशी का एहसास


आज दुनिया के विभिन्न देशों में गायों पर जितने भी अध्ययन हुए हैं वे सब बताते हैं कि मनुष्य के मुकाबले गायों में ह्रदय दर कम होती है किंतु उनके शरीर का तापमान ज़्यादा होने और उनका आकार बड़ा होने के कारण उनसे निपटने वाले मनुष्य को जहां अनेकानेक बीमारियों से निजात मिलती है वहीं एक अनजानी खुशी का भी एहसास होता है।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर


साइंस की एक अंतर्राष्ट्रीय व प्रतिष्ठित पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार जानवरों से संबंध जोड़ने की यह थेरेपी किसी भी मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर साबित हुई है। विशेषज्ञों की मानें तो जब हम किसी जानवर के संपर्क में लगातार रहते हैं,तो हमारे दिमाग तंतुओं से serotonin और endorphins नामक दो हार्मोन निकलते हैं जो हमारे तनाव को कम करने, खुशी को बढ़ाने के साथ ही साथ हमारे रक्तचाप व हृदय दर को भी कम करते हैं।

गाय अपरिचित न हो यह याद रखना है ज़रूरी


गाय को गले लगाना ज़रूरी है इसके साथ ही यह बात भी ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि गाय अपरिचित न हो । शहरों में लावारिस गाय हमें देखने को मिलती हैं हम उन गायों को कदापि गले नहीं लगाएं। क्योंकि हो सकता है वह हमें अपरिचित समझकर अपनी सिंगों से हमारे ऊपर प्रहार कर दे । क्योंकि उसे ऐसा भी महसूस हो सकता है कि हम उसे किसी प्रकार की क्षति पहुंचाना चाहते हैं ।अतः गाय को गले लगाने से पहले उसे रोटी या कुछ भी खिलाकर पहले उससे मित्रवत व्यवहार करलें उसके पश्चात ही उसे गले लगाएं, अन्यथा फ़ायदा की जगह नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।

स्वच्छता का ध्यान रखना भी है ज़रूरी


गाय को गले लगाने से पूर्व उसकी सफाई का भी ध्यान रखना परम आवश्यक है। कहीं ऐसा ना हो कि आप जिस गाय को गले लगा रहे हैं उस गाय को कोई संक्रामक बीमारी हो या उसके शरीर के बालों में कीड़े पड़े हुए हों। ऐसे में गाय की बीमारी, कीड़े आपको भी संक्रमित कर सकती हैं।

आज कॉउ हगिंग की महत्ता को देखते हुए अमेरिका जैसा विकसित देश भी इसे तेजी से अपना रहा है । आज समूचे अमेरिका में ऐसे बहुत सारे फॉर्म हैं जहां लोगों को गाय को गले लगाने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। आपको यहां यह बताना जरूरी है कि गाय पालना और उनके साथ लोगों को समय बिताने के लिए समय देना वहां का एक प्रोफेशन बन गया है । इसके बदले में वे मोटी फीस लेते हैं।

गाय पर की गई स्टडी बताती है कि उनके साथ लिपटने से होता है खुशी का अहसास


आज दुनिया के विभिन्न देशों में गायों पर जितने भी अध्ययन हुए हैं वे सब बताते हैं कि मनुष्य के मुकाबले गायों में हार्ट बीट कम होती है किंतु उनके शरीर का तापमान ज्यादा होने और उनका आकार बड़ा होने के कारण उसे निपटने वाले मनुष्य को जहां अनेकानेक बीमारियों से निजात मिलती है वहीं एक अनजानी खुशी का भी अहसास होता है।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर

क्या सच में गाय को गले लगाना लाभदायक ?

फरवरी का महीना और वैलेंटाइन डे की धूम
फरवरी का महीना आते ही चारो तरफ वैलेंटाइन डे की तैयारियां जोर शोर से दिखने लगती हैं। और फरवरी का दूसरा महीना तो लाल गुलाब, चाॅकलेट जैसी चीजों से सज जाता है । नए अविवाहित और विवाहित जोड़ों के लिए तो यह सप्ताह किसी पर्व से कम नहीं होता।

काऊ हग डे और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड
वैलेंटाइन डे की धूम के दौर में इस बार भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आने वाले 14 फरवरी को काऊ हग डे के तौर पर मनाने की अपील किया था ।जिसे सुनकर कुछ विरोधी पार्टियों ने इसका विरोध जताया और मजाक उड़ाया। उनका कहना था यह फैसला सही नहीं है इसके बाद केंद्र सरकार ने 10 फरवरी शुक्रवार को ईसे वापस ले लिया।

काऊ हग डे मनाने के पीछे भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की दलील

14 फरवरी को गाय को गले लगाने की अपील के पीछे केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है । गाय का हमारे जीवन में बड़ा ही उच्च स्थान है। इसीलिए हम भारतीय गाय को गौ माता कह कर पुकारते हैं ।इसके साथ ही गाय मां के समान पोशक भी है। यह मानवता को परिलक्षित करती है। किंतु बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आज पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण वैदिक परंपराएं विलुप्त होने के कगार पर आ चुकी हैं। पाश्चात्य संस्कृति के
चकाचौंध ने हमारी भारतीय संस्कृति, विरासत ,सभ्यता इत्यादि को लगभग भुला दिया है ।इसी को मद्देनजर रखते हुए 14 फरवरी को
काऊ हग डे मनाने का फैसला लिया गया था।

पालतू जानवरों का मनुष्य का तनाव कम करने में है अहम भूमिका
ऐसा माना जाता है कि पालतू जानवर मनुष्य के तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं । इन जानवरों में कुत्ते और बिल्लियों को सबसे ऊपर रखा जाता है। किंतु हमारे देश भारत में गाय को इस श्रेणी में सर्वोपरि माना जाता है।
हालैंड के नाम से मशहूर देश नीदरलैंड के एक गांव से एक परंपरा शुरू हुई जिसे आज पूरी दुनिया में बड़ी तेज़ी से अपनाया जा रहा है ।ऐसा कहा जाता है कि नीदरलैंड में को नफलेन जिसका अर्थ है गाय को गले लगाना की परंपरा अति प्राचीन है। वहां के लोगों का यह मानना है कि गाय को गले लगाने से मानसिक बीमारी से राहत मिलती है।

एनिमल थेरेपी
यहां हम आपको एक बात बताना आवश्यक समझते हैं कि एनिमल थेरेपी का कांसेप्ट आज कुछ नया नहीं है यह प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। किंतु यदि हम बात भारत की करें तो यहां पर सबसे अधिक लाभदायक जानवर गाय है ।वर्ष 2007 में एक अध्ययन किया गया जिससे पता चला है कि गाय के गर्दन और पीठ पर कुछ खास नरम हिस्सों को सहलाने से उसे अच्छा महसूस होता है और वह आपकी एक अच्छी मित्र हो जाती है। गांव में रहने वाले लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि शायद यही कारण है कि गाय को दूहने से पहले उसे प्यार से सहलाया जाता है।

गाय को सहलाना मनुष्यों के लिए है फायदेमंद
आपको
यह जानकर आश्चर्य होगा कि गाय को सहलाना सिर्फ़ गाय के लिए ही नहीं वरन संपूर्ण मानव जाति के लिए लाभकारी होता है। यदि हम बीबीसी रिपोर्ट की मानें तो गाय के साथ दोस्ताना व्यवहार करने से मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है हमारे अंदर का तनाव कम होता है हमारे अंदर अहम ऑक्सीटाॅसिन हार्मोन बढ़ता है। पालतू जानवरों के साथ खेलने से हमारे शरीर और मन को शांति तथा संतुष्टि मिलती है। उसमें भी स्तनधारी पशुओं के साथ खेलने तथा मित्रवत व्यवहार करने से यह संतुष्टि तथा शांति अधिक मिलती है।

अकेलेपन को दूर करते पालतू जानवर
कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए हम मनुष्य ऐसे घर में कैद हुए और सामाजिक गतिविधियों से दूर हो गए कि दुनिया भर के लोग अकेलेपन तथा मानसिक बीमारियों के शिकार हो गए ।ऐसे में ‌ यह माना जाता है कि घर में कुत्ते और बिल्लियों को पालना तनाव दूर करता है ।लेकिन उनके अलावा अन्य जानवर भी स्ट्रेस बुस्टर का कार्य करते हैं।उनके साथ जुड़ना मनुष्य के तनाव को दूर करता है।। शायद यही वज़ह है कि महानगरों में रहने वाले पूंजीपति लोग कुत्ते ,बिल्ली, खरगोश, सफेद चूहा , रंगीन मछलियां ,कछुआ इत्यादि जानवरों को पालते हैं और उनके साथ समय व्यतीत कर खुशी महसूस करते हैं।

मानसिक बीमारी को दूर करने में कारगर है जानवरों का साथ

बेनिफिट्स ऑफ एनिमल असिस्टेंट थेरेपी इन मेंटल हेल्थ नाम के एक लेख के अनुसार विशेषज्ञों ने एक सुझाव दिया कि पालतू जानवरों को गले लगाने या उनके संपर्क में आने से शरीर में खुशी और आराम बढ़ाने वाले हारमोंस बढ़ने लगते हैं जो रक्तचाप और हृदय दर को कम करने में मदद करते हैं तथा मानसिक बीमारी से जुड़ी समस्याओं को कम करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

भारतियों के लिए गाय सबसे पवित्र पशु
भारतवर्ष में गाय को अत्यंत पवित्रता की नज़र से देखा जाता है। इसे मां के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां तक कि इसे देवता तुल्य भी माना जाता है। ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए गाय को गले लगाना कोई नई बात नहीं है ।यह नई बात है महानगरों में निवास करने वाले लोगों के लिए। जिनके लिए गाय का कोई विशेष महत्व नहीं है उनके लिए गाय मात्र दूध देने वाली एक जानवर है इसेअधिक कुछ भी नहीं । वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि भारतियों का गायों के साथ भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव सदियों से रहा है और आगे भी बना रहेगा।

आज भारत से ज़्यादा विदेशों में है गाय से आत्मीयता
आज हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल होकर जिस गाय को भारतवर्ष में गौ माता, कामधेनु समझा जाता है ,उसके महत्व को भूल गए हैं । आज भारत वर्ष से अधिक विदेशों में उनकी कद्र है । आज गाय से लिपटकर अपनी अनेकानेक बीमारियों को दूर करना विदेशों में एक प्रोफेशन और कमाई का जरिया बनता जा रहा है।
नीदरलैंड एक ऐसा देश है जहां पिछले कई वर्षों से वहां के लोग गाय से लिपट कर अपनी आत्मीयता दिखाते हैं और अपने कुछ बीमारियों को दूर करते हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी शुरुआत 2020 में देखने को मिली जब लोगों ने अपने तनाव को दूर करने के लिए फार्म हाउस में पाली गई गायों के बीच जाकर उनके साथ कई घंटों बिताना प्रारंभ किया।

अमेरिका जैसे विकसित देश में काऊ हगिंग को तेज़ी से अपनाया जा रहा है
आज कॉउ हगिंग की महत्ता को देखते हुए अमेरिका जैसा विकसित देश भी इसे तेज़ी से अपना रहा है । आज समूचे अमेरिका में ऐसे बहुत सारे फॉर्म हैं जहां लोगों को गाय को गले लगाने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। आपको यहां यह बताना जरूरी है कि गाय पालना और उनके साथ लोगों को समय बिताने के लिए समय देना वहां का एक प्रोफेशन बन गया है । इसके बदले में वे मोटी फीस लेते हैं।

गाय पर की गई स्टडी बताती है कि उनके साथ लिपटने से होता है खुशी का एहसास
आज दुनिया के विभिन्न देशों में गायों पर जितने भी अध्ययन हुए हैं वे सब बताते हैं कि मनुष्य के मुकाबले गायों में ह्रदय दर कम होती है किंतु उनके शरीर का तापमान ज़्यादा होने और उनका आकार बड़ा होने के कारण उनसे निपटने वाले मनुष्य को जहां अनेकानेक बीमारियों से निजात मिलती है वहीं एक अनजानी खुशी का भी एहसास होता है।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर
साइंस की एक अंतर्राष्ट्रीय व प्रतिष्ठित पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार जानवरों से संबंध जोड़ने की यह थेरेपी किसी भी मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर साबित हुई है। विशेषज्ञों की मानें तो जब हम किसी जानवर के संपर्क में लगातार रहते हैं,तो हमारे दिमाग तंतुओं से serotonin और endorphins नामक दो हार्मोन निकलते हैं जो हमारे तनाव को कम करने, खुशी को बढ़ाने के साथ ही साथ हमारे रक्तचाप व हृदय दर को भी कम करते हैं।

गाय अपरिचित न हो यह याद रखना है ज़रूरी
गाय को गले लगाना ज़रूरी है इसके साथ ही यह बात भी ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि गाय अपरिचित न हो । शहरों में लावारिस गाय हमें देखने को मिलती हैं हम उन गायों को कदापि गले नहीं लगाएं। क्योंकि हो सकता है वह हमें अपरिचित समझकर अपनी सिंगों से हमारे ऊपर प्रहार कर दे । क्योंकि उसे ऐसा भी महसूस हो सकता है कि हम उसे किसी प्रकार की क्षति पहुंचाना चाहते हैं ।अतः गाय को गले लगाने से पहले उसे रोटी या कुछ भी खिलाकर पहले उससे मित्रवत व्यवहार करलें उसके पश्चात ही उसे गले लगाएं, अन्यथा फ़ायदा की जगह नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।

स्वच्छता का ध्यान रखना भी है ज़रूरी
गाय को गले लगाने से पूर्व उसकी सफाई का भी ध्यान रखना परम आवश्यक है। कहीं ऐसा ना हो कि आप जिस गाय को गले लगा रहे हैं उस गाय को कोई संक्रामक बीमारी हो या उसके शरीर के बालों में कीड़े पड़े हुए हों। ऐसे में गाय की बीमारी, कीड़े आपको भी संक्रमित कर सकती हैं।

साधना शाही वाराणसी

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By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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