बुलंद गर  खुदी को कर सकी,
तभी दुनिया में जी पाएगी।
इसमें  इतने जहर के पीपे हैं,
कि उसे नहीं तू पी पाएगी।

बिना खुदी को बुलंद किए,
एक पग भी चलना मुश्किल है।
बुलंद यदि खुदी  हो गई तो,
दूर ना अब तेरी मंजिल है।

कोई कॉकरोच से डरता है,
कोई अजगर को डराता है।
कॉकरोच डरने को नहीं कहता,
डरने वाला खुद ही अपने को ओछा बनाता है।

छुद्र को ना है पूछे कोई,
श्रेष्ठ को पूछे सकल जहान।
अपनी कीमत क्या करनी है,
भली भांति तुम लो पहचान।

भूत को जानो, भूत को समझो,
भूत से ना  भयभीत हो तुम।
इसे देख त्रुटियों को समझो,
कोरी कल्पनओं में ना गुम हो तुम।

कर्म करो तो श्रेष्ठ राह  है,
करती नहीं कभी गुमराह है।
स्मृति अनुभव पर करो अध्ययन,
योजना शक्ति यह  अथाह है।

आज को कैसे हम ले संवार,
कल की त्रुटियों पर करके विचार।
कल्पना शक्ति  ही हमें सिखाती,
जीवन में रस ,माधुर्य ,लालित्य है लाती।

गलत दिशा में यदि जोड़ोगे,
तभी हमें भयभीत है करती।
सही दिशा में करो कल्पना,
कल्पना सी ही दृढ़ -इच्छा शक्ति है देती।

साधना शाही, वाराणसी

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By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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