चाचा नेहरू और बाल दिवस
बाल दिवस वह शुभ दिन बच्चों,
जिस दिन चाचा जन्मे थे।
बच्चे ये दोनों पूरक थे,
तभी तो बच्चों के मन में थे।
नवभारत के सपने देखे,
पूर्ण करेंगे जिनको बच्चे ।
यीशु, ईशा ,अल्लाह यही हैं,
बच्चे बिल्कुल मन के सच्चे।
देश समाज की रौनक इनसे,
इनसे ही महकेगा भारत।
कलाम ,नरेंद्र ,सुखदेव इन्हीं में ,
इनमें छिपे हैं बुद्धि विशारद।
बाल दिवस बच्चों का दिन है,
यह है खुशियों का त्योहार।
जाति ,धर्म , मज़हब को भूलो ,
बरसे बस एक राष्ट्र का प्यार।
लाचारी, बेबसी दूर करो तुम,
चहुॅं उन्नति भरपूर करो तुम।
महाशक्ति बनकर उभरो तुम,
भूख ,अशिक्षा से जाओ लड़ तुम।
पेट पकड़कर ना कोई सोए,
खेलकूद में बचपन खोए।
जूही, गुलाब से जग में महको,
इसकी खुशबू सभी सॅंजोए।
व्यक्तित्व सदा ऐसा हो तुम्हारा,
सदा करें हम तुम पर नाज़।
विश्व फलक पर तुम छा जाओ,
सशक्त करो तुम देश समाज।
भारतवासी तुममें देखें,
उज्जवल, विकसित स्वर्ण विहान।
तुम भारत के भाग्य विधाता,
तुम नानक, बुद्ध महावीर भगवान।
आज के पावन बेला में तुम,
चाचा को श्रद्धा -पुष्प चढ़ाओ ।
ऊंच-नीच का भेद मिटाकर,
विश्व- बंधुत्व धरा पर फैलाओ।
यदि हम ऐसा कर पाए तो,
बाल दिवस तब होगा सार्थक।
संस्कार बीज यदि बो पाए तो,
पुष्पित -पल्लवित हो बने प्रदर्शक।
साधना शाही, वाराणसी