आज का युग विज्ञान का युग है इसने हमारे जीवन को अत्यंत सरल बना दिया है। वहीं दूसरी तरफ यह मानवता के लिए अभिशाप भी साबित हो सकता है। यदि हम इसका सकारात्मक प्रयोग करते हैं तो यह रचनात्मकता का जन्म एवं वृद्धि कर सकता है, किंतु इसका नकारात्मक प्रयोग मानवता का विध्वंस भी कर सकता है।तो आज की मेरी नई कविता इन्हीं बिंदुओं को अपने में समेटे हुए हैं जिसका शीर्षक है

जैसा साधो वैसा पाओ

स्वाति सम विज्ञान को माने,
गुण भी वैसा ही कुछ जाने।

स्वाति कदली को कर्पूर बनाती,
भुजंग मुख बनाती विष की लोय ।

स्वाती बनाती महंगे मोती,
जिसे जानता है हर कोय।

विज्ञान को भी तुम जैसा साधो,
गुण वैसे तुम इससे नाधो।

विकास की यह जननी है कादो,
पालक ,घातक सब आबाद हो।

विज्ञान नहीं शत्रु मानव का,
मानव शत्रु सदा है युद्ध।

वसुधा विकास में हो प्रयोग तो,
धरा पर जंह-तंह उपजे बुद्ध।

दौर शांति का यदि है चलता,
विज्ञान दिखाए रचनात्मकता।

रणभेरी यदि धरा पर बाजे,
मौत का नंगा नाच दिखाता।

युद्ध की खातिर ना जिम्मेदार,
छिड़े भयानक होता यार।

सद्गुण से यह भरा हुआ है,
दुर्गुण का भी यह भंडार।

प्रतिबंधित ना इसे करो तुम,
करना है तो युद्ध तजो तुम।

रोजी-रोटी में यह है सहायक,
कहीं किसी का यही किया गुम।

अराजकता को ना फैलाओ,
अंतर्राष्ट्रीय सरकार बनाओ।

विश्व बंधुत्व कायम हो सकता,
विश्व हित यदि इसको उपजाओ।

आवश्यक सबकी भागीदारी,
बच्चे, बूढ़े ,नर और नारी।

सत्कर्म वास्ते सज्जन प्रयोग करें,
अराजकता के लिए अत्याचारी।

समक्ष हमारे प्रश्न विचारणीय,
करें निरादर या है आदरणीय।

शिक्षा सहिष्णुता सौहार्द्र और सोच,
विनाशकारी क्षमताओं के समक्ष ना ओछ।

समस्या समाधान यह है कर सकता,
सबके उड़ा सकता है होश।

विकास- विनाश में है प्रतिस्पर्धा,
कौन हो विजयी किसकी चर्चा।

इसके प्रयोग से रुके अपव्यय,
कहीं बढ़ा देता अति खर्चा।

इसका उत्तर बहुत ज़रूरी,
हम सबकी यह है मजबूरी।

विष्णु सा यदि पालक है तो,
धरा का इस बिन ह्रास अधूरी।

विज्ञान से करो समस्या समाधान,
कार्यों को कर लो आसान।

तनिक सी त्रुटि यदि हो गई हमसे,
हल उसका मानो पाषान।

इससे ना विध्वंस करो तुम,
नहीं किसी का वंश हरो तुम।

यही मांग को सूनी करता,
बरसाता है यही चहुं कुमकुम।

वास्तविक शत्रु विज्ञान नहीं है,
शत्रु वे जो ना हैं वंदित।

उचित निर्णय की क्षमता करो विकसित,
जिससे जग हो जाए प्रफुल्लित।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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