सच्चा सुखी परोपकारी है,
दुख जीवन में ना भारी है।
दूजे की तुम करो भलाई,
सदा सुखी हर नर नारी है।
भूखे को रोटी तुम दे दो,
अनपढ़ को दे दो तुम शिक्षा।
श्रम का दान करो खुश होकर,
भू पर ना कोई मांगे भिक्षा।
नि:स्वार्थ कुछ काज करो तुम,
परहित कल नहीं आज करो तुम।
सामाजिक प्राणी है मानव,
मानवता ना होने दो गुम।
जीवन- गाड़ी सहयोग से चलती,
बिन सहयोग यह खंडित
होती।
कुदरत सहयोग का पाठ पढ़ाती,
परहित यह जीवन है जीती।
लोभ आज नर कर रहा धारण,
अराजकता का कर रहा पारण।
लोभ को तज महामानव बन जा,
जीवन का कर लो उद्धारण।
साधना शाही ,वाराणसी
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