18 अगस्त 1945 दिन कितना मनहू
स था ,
नेताजी के विमान हादसे का ले आया वह सूध था।
सायगोन और तायहोकु में,
अंतिम बार वो दरस दिए।
स्थल यह नहस कितना था
कर्मवीर को निगल लिए।
अभी भी संदेहों में घिरा है,
नेताजी का पुण्यतिथि।
77 साल बीत गए,
विश्वास नहीं करते अब भी।
मुखर्जी आयोग ने यही बताया ,
कोई हादसा हुआ नहीं।
ताइवान सरकार ना खंडन करती,
वो भी माने बात यही।
पर्दा अब तक उठा नहीं है,
नेता जी के निधन सच्चाई का।
पर जीवित के भी प्रमाण न कोई ,
पश्चात हादसा हवाई का।
तीन आयोग चले रहस्य खोजने ,
तीनों एक ना हो पाए ।
नेताजी का निधन कब हुआ,
यह जवाब ना दे पाए।
शाहनवाज, जीडी ने बोला,
ताइहोकू में निधन हुआ।
मनोज मुखर्जी आयोग हुई ना सहमत ,
हवाई हादसे में ना निधन हुआ।
अग्रज ने भी ताइहोकू निधन को,
पूरी तरह निरस्त किया।
जापान सैन्य अधिकारी उनको,
सुरक्षित जापान से निकालना सुनिश्चित किया।
रहस्य से पर्दा चलो उठाएं ,
तोक्यों के रैंको जी मंदिर से।
18 सितंबर 1945 से ,
रखी अस्थियां अस्थिर से।
अंतिम संस्कार हेतु गई अस्थियां,
रस्म अदायगी भी थी हुई।
बोस की गुत्थी तभी सुधरेगी,
सुता अनीता की डी एन ए
जांच की मांग जब पूर्ण हुई।
45 में हुआ निधन है ,
अनीता भी स्वीकार हैं की।
डी एन ए सरकार करा के,
उनकी आत्मा को शांति दे।
मुखर्जी आयोग ने कर दिया खारिज़,
अस्थियां बोस की नहीं वहां,
पर बेटी स्वीकार न करती,
मुखर्जी आयोग का निर्णय यहां।
डीएनए कर साफ़ यह कर दो,
नेताजी का कब निधन हुआ?
1945 में स्वर्ग सिधारे,
या45 के बाद भी उनका कहीं गमन हुआ।
पुण्यतिथि कुछ लोग मनाते, पर यह निश्चित नहीं अभी।
ताइहोकू में निधन हुआ या,
गुत्थी उलझी आज सभी।
साधना शाही, वाराणसी