‘प्रदूषण प्रदूषण प्रदूषण ,
ना जाने कहां से आया यह यह खरदूषण।
आकर विलुप्त कर दिया हरियाली ,
आधुनिक ज्ञान धरा पर फैला दिया व्याली।’
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि – ‘प्रकृति में इतनी ताकत होती है कि वह मानव के हर जरूरत को पूर्ण कर सकती है लेकिन पृथ्वी कभी भी मनुष्य के लालच को पूर्ण नहीं कर सकती।’
मानव जीवन और पर्यावरण को एक दूसरे का पूरक कहा जाता है एक के बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं कर सकते
सर्वविदित है कि ग्लोबल वॉर्मिंग दुनिया भर में प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बनता जा रहा है ,पृथ्वी दिवस पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करता है ।यह दिवस 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए आयोजित किया जाता है, इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर गेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी। इसे अब 193 से भी अधिक देश प्रतिवर्ष मना कर पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं इस दिन उत्तरी गोलार्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्ध में शरद का मौसम रहता है।
प्रत्येक दिवस की भांति ही पृथ्वी दिवस मनाने का भी अपना एक अलग ही महत्व है। क्योंकि इस दिन हमें पर्यावरणविदों के माध्यम से ग्लोबल वॉर्मिंग का पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का पता चलता है। पृथ्वी दिवस जीवन संपदा को बचाने व पर्यावरण को ठीक रखने के बारे में जनमानस को जागरूक करता है। सन 1969 में सांता बारबरा के समुद्र में 3 मिलियन गैलन तेल का रिसाव हुआ था, जिसके वजह से समुद्र में भारी बर्बादी हुई जिसे देखने के बाद गेराल्ड नेल्सन ने पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत की थी।
22 अप्रैल 1970 को आयोजित प्रथम पृथ्वी दिवस में 20 मिलियन अमेरिकी लोगों ने भाग लिया था जिसमें हर जाति, धर्म, मजहब, समाज और क्षेत्र के लोग शामिल थे इस प्रकार यह आंदोलन आधुनिक युग का सबसे बड़ा आंदोलन बन गया। पर्यावरण प्रेमी ,प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन समुद्र में तेल फैलने की घटनाओं को रोकने ,नदियों में फैक्ट्री का अपशिष्ट डालने से रोकने तथा जहरीले कचरे को इधर-उधर फेंकने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए और जंगलों को काटने वाली आर्थिक गतिविधियों को रोकने के लिए पृथ्वी दिवस मनाने पर जोर देते हैं। पृथ्वी दिवस शब्द जूलियन कोनिंग ने 1969 में दिया था। 22 अप्रैल को कोनिंग का जन्मदिन होता है इसीलिए उन्होंने बर्थडे और अर्थडे का तुकांत होने के कारण अपने बर्थडे को अर्थडे मनाने का सुझाव दिया।
इसके अतिरिक्त रोन कोब्ब ने एक पारिस्थितिक प्रतीक का निर्माण किया था जिसे बाद में पृथ्वी दिवस के प्रतीक के रूप में अपनाया गया, यह लोगो E और O अक्षर को जोड़कर बनाया गया था, जिसमें E environmentऔर O organism को दर्शाता है। इस लोगों को लॉस एंजेल्स में फ्री प्रेस में 7 नवंबर 1969 को प्रकाशित किया गया था, और बाद में पब्लिक डोमेन में रखा गया । यह दुनिया का प्रथम दिवस है जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर भौगोलिक सीमाओं को स्वयं में समाए हुए हैं। कई जगह पर हिंदी सप्ताह की भांति पृथ्वी सप्ताह भी मनाया जाता है ,जो 16 अप्रैल से 22 अप्रैल तक चलता है ।इस बीच ग्लोबल वॉर्मिंग, पॉलीथिन व कीटनाशक के प्रयोग से होने वाली हानि, वृक्षों की कटाई से होने वाले दुष्प्रभाव आदि से लोगों को अवगत कराकर वन और पर्यावरण सुरक्षा कानूनों के मजबूत होने की बात की जाती है।
निष्कर्ष के तौर पर यही कहा जा सकता है कि हम पृथ्वी दिवस जल संरक्षण दिवस, पर्यावरण दिवस आदि इस तरह के दिवसों को मना कर यदि पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के रहने लायक बना पाते हैं तब तो पर्यावरण से संबंधित इन दिवसों को मनाना सार्थक है अन्यथा थोथा प्रदर्शन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं ।
प्रत्येक वर्ष पृथ्वी दिवस का कुछ ना कुछ थीम होता है पिछले वर्ष इस का थीम था ‘हमारी पृथ्वी को पुनः स्थापित करें ‘तथा 2022 का थीम है ‘हमारे ग्रह में निवेश करें‘ यह थीम हमारे स्वास्थ्य, परिवारों, हमारे आजीविका आदि की रक्षा के लिए एकजुट होकर इस ग्रह में निवेश करने को प्रोत्साहित करने के लिए है। क्योंकि हरा-भरा भविष्य ही एक समृद्ध भविष्य है।
और अंत में यही कहा जा सकता है कि –
‘कभी बैठ एकांत में कर मंथन,
तूने शस्य श्यामला को क्या है किया।
यह मां समान ही पोषक थी,
तू तो बन गया इसका शोषक।
अब तो चेतो, अब तो जागो,
इसके एहसानों को याद करो।
मिलजुलकर वृक्ष लगा दो यदि तो ,
पृथ्वी दिवसको आबाद करो,
पृथ्वी दिवस आबाद करो।’
साधना शाही, वाराणसी