भादो के रंग

भादो में बरसे ला बुनिया,
भीजे ला सारा दुनिया।

दामिनी दमके, मेघा गरजे,
कबहीं डरावे अउर कबहीं ह बरसे,
ठंडा जाले तपल जमिनिया।
भिजेला सारा दुनिया

घेर- घेर चहुं दिश से बदरी ह आवे,
दादुर, मोर पपीहा गावे।
गावेले नयकी दुल्हनियां,
भीजेला सारा दुनिया।

खेतिहर के देख -देख जिया हरसाला,
धरती पर जइसे हरियाली बोआला,
जहां-तहां नाचेले काली नगिनिया।
भिजेला सारी दुनिया।

रोहिणी नक्षत्र में कान्हा जी जनमें,
भक्तन के सगरो कष्ट हर लिहलें,
घर- घर मनेला जन्म अष्टिमिया।
भिजेला सारा दुनिया।

घर-घर में काशी में कजरी गवाला,
भादो में कजरी से जिया
हरसाला
हरसे उत्तर भारत क अदिमिया।
भिजेला सारा दुनिया।

भादो चउथ महतारी मनावें,
अपना ललन के भाग जगावें,
गणपति हर ले लें सगरो
बिघनिया।
भिजेला सारा दुनिया।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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