बहुत सारे लोगों को राष्ट्रीय महिला दिवस और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर दुविधा रहती है। तो आज मैं आपको बताना चाहूंगी कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है , जबकि 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। आज के ही दिन (13 फरवरी) प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी ,उच्च कोटि की कवयित्री, भारत कोकिला यानी नाइटिंगल ऑफ़ इंडिया, भारत की प्रथम महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू का जन्म 1879 में हैदराबाद में हुआ था। उनका जीवन प्रत्येक महिला के लिए प्रेरणा स्रोत है।
इसीलिए इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।सरोजनी नायडू ने ऐसे समय में महिलाओं को जागृत करने का काम किया था जब देश अंग्रेजों का गुलाम था, महिलाएं बेजान तस्वीर की भांति घरों के अंदर कैद होकर रहती थीं।सरोजनी नायडू के नेतृत्व में बहुत सारी महिलाएं स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका भी निभाईं।
आज उनके जन्मदिवस पर उन्हें समर्पित है आज की मेरी कविता जिसका शीर्षक है-

राष्ट्रीय महिला दिवस और सरोजनी नायडू
आओ जानें आज हम सभी,
भारत कोकिला नाम को।
13 फरवरी 1879 में जन्म हुआ था,
नमन इस स्वतंत्रता सेनानी महान को।

उच्च कोटि की वक्ता थीं,
ना अबला यह सशक्ता थीं।
टूटे सपने, शक्ति ,आशा जानो,
इनकी कविता के जान को।
आओ जानें हम सभी,
भारत कोकिला नाम को।

जीवन,मृत्यु ,गौरव ,सौंदर्य,
पर,
अपनी कविता में बात करें।
इतनी भावना एक साथ भरी थी,
सब पर ही आगाज़ करें।
विरले ही जन कोई होंगे,
स्मरण ना करें इस ज्ञान की खान को ।
आओ जाने आज हम सभी,
भारत कोकिला नाम को।

इनकी कविता के पद्य गेय थे,
इन्हें गाना बड़ा मनोहारी था।
भारत कोकिला नाम पड़ा था,
पूरा जग बलिहारी था।
अघोरनाथ चट्टोपाध्याय पिता थे,
जानो वरदा सुंदरी माता के नाम को।
आओ जाने आज हम सभी,
भारत कोकिला नाम को।

भ्राता- भगिनीआठ थे इनके,
उनमें वो थीं सबसे बड़ी।
एक भाई वीरेंद्रनाथ थे ,
जो थे सशक्त क्रांतिकारी।
हरिद्रनाथ कथाकार, कलाकार, कवि थे ,
ऊंचा किए देश की शान को।
आओ जाने आज हम सभी,
भारत कोकिला नाम को।

1947 में बनीं उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल ,
इसीलिए उनका जन्म दिवस करता देश को है खुशहाल।
कमज़ोर न तुम महिला को समझो,
पूरा कीं वो इस अरमान को।
आओ जाने आज हम सभी,
भारत कोकिला नाम को।

13 फरवरी 2015 से,
राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हम।
आज भी उनके जन्मदिवस पर,
करें कुछ दिलचस्प बातें हम।
1989 में गईं ब्याहीं,
गोविंदराजुल नायडू से ,
ये वो प्रतिभा धनी व्यक्ति थे
जो चाहे भौतिक विज्ञान को।
आओ हम सब याद करें,
भारत कोकिला नाम को।

सामान्य नहीं मेधावी थीं वो,
बारह वर्ष में पास कीं बारहवीं।
लेडी ऑफ द लेक लिखीं जब,
उम्र थी इनकी मात्र तेरहवीं।
गोल्डन थ्रेशोल्ड पहली कविता थी,
जानें हम इस पैगाम को।
आओ हम सब याद करें,
भारत कोकिला नाम को।

एक बार की बात सुनो तुम,
गहन समस्या में थीं उलझी।
अथक प्रयास वो करके हारीं,
तब भी ना वो समस्या सुलझी ।
द लेडी ऑफ द लेक कविता सृजन कीं,
लेने हेतु छोटे से विराम को।
आओ हम सब याद करें,
भारत कोकिला नाम को।

वर्ड ऑफ टाइम, ब्रोकन विंग,
कविता की भी रचयिता थीं।
लोगों के यह मन अति भाईं,
यह काव्य लोक की सविता थीं।
1914 में मिलीं बापू से,
शीश झुकाईं उनके ज्ञान को।
आओ हम सब याद करें,
भारत कोकिला नाम को।

हैदराबाद थी जन्मस्थली,
भारत बना था कर्मस्थली।
कर्तव्य परायणा यह बाला थीं।
देश का ऊंचा गौरव कर लीं।
आओ शीश झुकाएं इनको,
इनके जाबाजी काम को।
आओ हम सब याद करें,
भारत कोकिला नाम को।

धार्मिक वातावरण था घर का,
श्री राम के सभी आराधक थे।
जीवन इनका बड़ा सरल था,
ना कोई दुर्व्यसन घातक थे।
बनी शासिका उत्तर प्रदेश की,
जग सराहे इनके हर काम को ।
आओ हम सब याद करें,
भारत कोकिला नाम को।

साधना शाही, वाराणसी

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By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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