आओ माता के दरबार ,
पूरन होंगे सारे कार।

मां सबकी मुरादें पूरी करतीं,
खाली झोलियां हैं मां भरतीं।

कर लो दर्शन बस एक बार,
धन्य होगा मानव अवतार ।

आओ बात पुरानी बताएं,
तुमको एक कहानी सुनाएं।

सूखे झरने, नदियां, ताल,
भीषण पड़ा एक बार अकाल।

पूरे वर्ष न आया अब्द,
धरावासी थे सभी संतप्त।

चारों ओर मच गया हाहाकार,
प्राणी मात्र हुआ था लाचार।

दुर्गम फैलाया ऐसा आतंक,
झुलसाए मानव ज्योति मयंक।

ब्रह्मा जी को था अति खेद,
हर लिया दुर्गम उनसे वेद।

मानो जीवन का होगा अंत,
यहां वहां नहीं दिक्- दिगंत।

मां दुर्गा लीं तब अवतार,
जिनके नेत्र सहस्त्र साकार।

देवी कर दीं रूदन धरा पर,
जिससे जल प्रवाह हो गया यहां पर।

धरा हो गई पुष्पित पल्लवित,
छाई खुशियां हुए सब हर्षित।

फिर मां ने दुर्गम का कर दिया अंत,
मानव को खुशी से लग गए पंख।

मां से जिसने नेह लगाया,
हर आदि -व्याधि से मुक्ति पाया।

इक दिन मरना है हम सबको,
तज तो राग द्वेष को भक्तों।

मानव जन्म सफल तुम कर लो,
कर लो भक्ति मां का तर लो।

यह दुनिया रैन बसेरा,
जाने कब उठ जाए डेरा।

डेरे को उठने से पहले,
इस जीवन को सफल तू कर ले।

साधना शाही, वाराणसी

प्रिय पाठकों,
शारदीय नवरात्रि के पावन बेला में , मैंने मां के भक्तिमय कविताओं का भावोत्पादक संकलन करने का प्रयास किया है ।उम्मीद करती हूं आपको मेरा यह प्रयास पसंद आएगा। यदि मेरे प्रयास में कहीं कोई कमी नज़र आए तो आपका सुझाव व टिप्पणी सदा शिरोधार्य है।
🙏🙏🙏🙏🙏

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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