1-करके सोलहो श्रृंगार
करूंँ मैं पिया का इंतज़ार
आजा- आजा।
आजा- आजा पिया
मेरे जल्दी से आ
आजा आजा।
व्रत में करती हूंँ हर बार
तेरी यह उम्र का है आधार
मैं नैया हूंँ तू पतवार
संग होंगे भवसागर पार
आजा- आजा।
आजा- आजा पिया
मेरे जल्दी से आ
आजा आजा।
तू तो चूड़ी कंगन लाना
संग में सिंदूर बिंदी लाना
लाके मुझको तू पहनाना
पहना करके गले लगाना
आजा- आजा।
आजा- आजा पिया
मेरे जल्दी से आ
आजा आजा।
चंदा बसता नील गगन में
पर तू तो है मेरे संग में
खुशी में दुख में सारे रंग में
आजा- आजा।
आजा- आजा पिया
मेरे जल्दी से आ
आजा आजा।
तेरे बिन जीवन है अधूरा
आके कर दे उसको पूरा
ना आया तो बनेगा मूरा
सपने मेरे होंगे बूरा
आजा- आजा।
आजा- आजा पिया
मेरे जल्दी से आ
आजा- आजा।
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2- देखो सखी शुभ घड़ी
आज है आई
है करवा चौथ की
खुशियांँ छाई
हाँ, देखो सखी शुभ घड़ी
आज आई।2
तुम मेरे दिल में
सदा ही हो रहते
पल भर भी इससे
नहीं हो निकलते
अंँखियों में तेरी ही
सूरत बसाई
है करवा चौथ की
खुशियांँ छाई।
हाँ, देखो सखी शुभ घड़ी,
आज आई।2
तू मेरा चंदा है,
मैं हूँ चकोरी।
मैं तुझको देखूंँ,
तू देख मेरी ओरी।
अंतर्मन में तेरी ,
दुनिया समाई।
है करवा चौथ की
खुशियांँ छाई।
हाँ, देखो सखी शुभ घड़ी
आज आई।2
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तुम जैसा सोचो
वही प्यार मैं दूँ
तेरे लगन का मैं
श्रृंगार कर लूँ
दूरी है मुझसे
ना तेरी सहाई
है करवा चौथ की
खुशियांँ छाई।
हाँ, देखो सखी शुभ घड़ी
आज आई।2
निर्जल व्रत मैं
भक्ति से की हूँ
मेरे पिया ना
सख्ती से की हूंँ
तेरे नाम की हूँ
मैं सिंदूर लगाई
है करवा चौथ की
खुशियांँ छाई।
हाँ, देखो सखी शुभ घड़ी
आज आई।2
साधना शाही, वाराणसी
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