नौ देवियांँ और उनके भोग

सामान्यतः यही कहा जाता है कि ईश्वर भाव के भूखे होते हैं हम उन्हें क्या चढ़ाएंँगे। यह बहुत हद तक सही भी है क्योंकि सब कुछ तो उन्होंने ही हमें दिया हुआ है किंतु फिर भी पूजा- पाठ का एक नियम होता है जिसे हमें सामर्थ्य अनुसार करना चाहिए। तो आज मैं आपको यह बताऊंँगी कि नवरात्रि की जो नौ देवियांँ हैं उन्हें किस चीज़ का भोग लगाना चाहिए?

1-माता शैलपुत्री-


यदि आप रोग ग्रसित हैं और उससे निजात पाना चाहते हैं, तो माता शैलपुत्री को गाय के घी से बने हुए बने पकवान का भोग लगाएंँ।

2-माता ब्रह्मचारिणी –


यदि आप अपने बंधु- बांधवों, संतान तथा स्वयं को दीर्घायु बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आप माता ब्रह्मचारिणी को मिश्री ,चीनी और पंचामृत का भोग लगाएंँ।

3-माता चंद्रघंटा-


यदि आप अनेकानेक प्रकार के दुखों से दुखी हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो इसके लिए आप माता चंद्रघंटा को दूध से बनी वस्तुएंँ जैसे मिठाई, खीर इत्यादि का भोग लगाएंँ।

4-माता कुष्मांडा-


यदि आप स्वयं मे,अपने बंधु बांधवों में,संतति में प्रत्युत्पन्न मतित्व, कुशाग्रबुद्धि, उचित निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना चाहते हैं तो इसके लिए आप माता कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएंँ।

5-माता स्कंद माता-


कहा जाता है ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है’ और स्वस्थ मस्तिष्क ही हमारे वृद्धि एवं विकास का मूल है। अतः यदि आप अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो माता स्कंदमाता को केले का भोग लगाएंँ।

6-माता कात्यायनी-


भला ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा जो आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता का भूखा नहीं होगा। अतः यदि आप भी अपना व्यक्तित्व आकर्षक और सुंदर बनाना चाहते हैं, सुंदर दिखना चाहते हैं तो इसके लिए आप माता कात्यानी को शहद का भोग लगाएंँ।

7-माता कालरात्रि-


यदि आप चाहते हैं कि आपके बंधु- बांधव,परिवार स्वयं आप कभी भी शोकाकुल न रहें , संकटों के मध्य न घिरें तो इसके लिए आप माता कालरात्रि को गुड़ तथा गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएंँ।

8-माता महागौरी-


यदि आप अपने जीवन में संतान संबंधी समस्याओं से बचना चाहते हैं, तो इसके लिए आप माता महागौरी को नारियल का भोग लगाएंँ।

9-माता सिद्धिदात्री-


यदि आप अपने संतति को हर तरह की समस्याओं से दूर रखना चाहते हैं, आप चाहते हैं, कि माता उन पर सदा सुख- समृद्धि की वर्षा करें, तो इसके लिए आप माता सिद्धिदात्री को काले चने की घुघनी या चना, पूरी और खीर का भोग लगाएंँ।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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