मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।
आज कृष्ण पक्ष, चतुर्थी है, कोई गुत्थी ना उलझी है।
लिए हर्ष को संग किया है, गणपति का अर्ज किया है।
मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।

नर उठ जा प्रात काल में, धर ध्यान तू तत्काल में।
स्वच्छ वस्त्र को धारण कर ले, विघ्नों का निवारण कर ले।
बड़े भक्ति के साथ किया है, गणपति का अर्ज किया है। मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।

मैंने घी का दीप जलाया, धूप से है महाकाया।
सात्विकता से व्रत कर ली, करने का संकल्प उठाया।
लंबोदर को याद किया है, गणपति का अर्ज किया है।
मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।

जब संध्या समय है आई, पूजा की थाली सजाई।
कान्हा और गौ माता भी, गणपति के संग पूजाईं।
फिर उनकी कृपा लिया है, गणपति का अर्ज किया है।
मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।

चंद्रोदय की शुभ घड़ी आई,पूजा की थाल सजाई।
स्वच्छ पत्र में दूध को भर ली, फिर चंद्र देव को चढ़ाईं।
सुमिरन कर जोर किया है, गणपति का अर्ज किया है।
मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।

संतान की रक्षा हेतु, इस व्रत को महिलाएंँ करतीं।
निराहार, निराजल रहकर, बस प्रभु का सुमिरन वरतीं।
प्रभु ने सुख- समृद्धि दिया है, गणपति का अर्ज किया है।
मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।

इसका नाम ही है संकष्टी, जो संकट को है हरती।
हर आदि- व्याधि को हरके, सुख- समृद्धि से घर को भरतीं।
प्रभु ने यश,मान, प्रतिष्ठा दिया है, गणपति का अर्ज किया है।
मैंने भादो चौथ किया है, गणपति का अर्ज किया है।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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