सावन माह
1-श्रावण सोमवार और भोले
ऐ भोले ! तेरे चरणों में हम,
शीश झुकाते हैं।
हे प्रभु! तुझको़ हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
तेरा रूप जटा -जूट वाला,
तेरे अंगों में है मृग की छाला।
तेरे हाथ कमंडल बिराजे,
तूने पी लिया विष का प्याला
तेरे भोले रूप को देखके,
जी उल्लास करते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
श्रावण मास प्रभु तुम आना,
गौरा को भी साथ में लाना।
दास तेरी मैं कर रही विनती,
दाता तुम कहीं भूल न जाना।
तेरे महिमा का आस,
हम दिन रात करते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
मेरे घर -आंँगन में पधारो,
मेरे विपदा को प्रभु टारो।
संग विघ्न विनाशक लेके,
मुझे भव बाधा से तारो
जग में मेरा भला- बुरा हो,
तुम पर डाल देते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
तुम आदि- व्याधि के हरता,
भक्तों के मंगल करता।
तेरी भक्ति का पान जो कर ले,
बैकुंठ वो धारण करता।
नित तेरे नाम का सुमिरन,
शिव सौ बार करते हैं।
हे प्रभु!तुझको हम ,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
श्रावण माह तुझे अति प्यारा,
तेरे तपिश को हरता सारा।
तुम उतर गए वसुधा पर,
और भक्तों को उद्धारा।
तेरी कृपा दृष्टि की खातिर ,
व्रत सोमवार करते हैं।
हे प्रभु! तुझको हम,
बारंबार प्रणाम करते हैं।
2- सावन का मंगलवार
आज है सावन का मंगलवार
देता हर बाधा को टार।
पूजी जाती माता गौरी,
साथ में गणपति, नंदी जोड़ी।
सुख खुशी पाता है संतान,
अखंड सौभाग्य मिले लो जान।
ये भक्तों को वर हैं देती,
सारी विपदा हैं हर लेती।
जो कर लेगा इनकी सेवा,
जीवन में पाएगा मेवा।
ये हैं सत्य सनातन देवी,
सदा ये शुभ फल को हैं देतीं।
ये हैं अरि कुल पद्मविनाशिनी,
सारे दुख-व्याधि की नाशिनी।
रूद्र के संग में माता विराजे,
भक्तों के दर पर आशीष छाजै।
तेरी भक्ति में हम खो जाएँ,
अपने भावों के पुष्प चढ़ाएंँ।
अपने मन में श्रद्धा जगाएंँ,
तेरी कृपा की ज्योति पा जाएंँ।
फिर झूमें, नाचें, और गाएंँ,
झूम ,नाच के मैया को रिझाएंँ।
हलुआ ,घुघनी का भोग हम लगाएंँ,
घी और कपूर की ज्योति जलाएंँ।
तेरे चरणों की रज जो पाएंँ,
अपने जीवन को धन्य बनाएंँ।
3- सावन और बुधवार
हर पल शुभ सावन का होता,
शिव परिवार है पूजा जाता।
सोम को शिव ,मंगल को गौरी,
बुद्ध को जानो मानव पौड़ी।
विघ्नहर्ता हैं पूजे जाते,
हर विघ्नों को जो हर लाते।
गजानंद हैं इस दिन आते,
सबके सोए भाग्य जगाते।
पान ,सुपारी, ध्वजा चढ़ा लो,
सपरिवार प्रभु के गुण गालो।
संग मे रिद्धि- सिद्धि ले आते ,
जीवन सबका सफ़ल बनाते।
सावन की हर घड़ी ही शुभ है,
शिव-गौरी, एकदंत सब खुश हैं।
कृपा दृष्टि ले खुशियाॅं पावो,
दुख – व्याधियाॅं दूर भगाओ।
जय हो शिव!गौरी व गजानन,
मेरे घर आओ चतुरानन!
और अधिक शुभ सावन कर दो,
जीवन को मनभावन कर दो।
त्रुटियों हेतु है क्षमा याचना,
सब स्वीकार नहीं है भागना।
श्रद्धा दीप, भक्ति की बाती,
बस यह ही है हमरी थाती।
सकल कुटुंब की रक्षा करना,
घर, आंँगन, मन में प्रभु रहना।
4- सावन के गुरुवार का महत्व
आया सावन का गुरुवार,
खुशियाॅं लाया अपरंपार।
सब के भाग्य के देव कहलाते,
बृहस्पतिवार को पूजे जाते।
गुरु दोष यदि है कुंडली में,
दुर्भाग्य हर मार्ग गली में।
वैवाहिक बाधा ना धरता,
दांपत्य जीवन कभी दुखी न रहता।
देव गुरु ये हैं कहलाते ,
भाग्य- विधाता जाने जाते।
पीतांबर को धारण कर लें,
पीला भोजन पारण कर लें।
नोन को इस दिन अरि सम जानें,
पीत पदार्थ अमिय सम मानें।
केसर, हल्दी ,गोरोचन तिलक लगाएंँ ,
केसर चावल शिव , गुरु मन भाए।
विष्णु सहस्त्रनाम को जप लें,
ग्रह, बाधा जीवन से तज लें।
बुरी लत त्याग का उत्तम दिन है,
संकल्प अधिकता अति प्रवीन है।
गुरुवार को धूप दिखाओ,
कलह, तनाव से मुक्ति पाओ।
अलौकिक आनंद भी मिलता,
ग्रह बाधा ना पास फटकता।
कदली ,गोरस कभी न खाना,
दक्षिण, पूर्व ,नेऋत्व न जाना।
हज्जाम से जितनी दूर रहो तुम,
संतति बाधा को तज दो तुम।
सावन गुरु की महता भारी,
पूज इसे लो हर नर नारी।
5- सावन के शुक्रवार का महत्व
शिव-शक्ति का युग्म माह तुम,
सावन माह लो जान।
पौरुष, प्रकृति का मिलन माह है,
कर लो इसका ज्ञान।
शिव- साधना का सर्वोत्तम माह है,
देवाधिदेव महादेव लो पूज।
भाॅंग, धतूरा आक चढ़ाओ,
और चढ़ाओ भक्तों दूब।
शक्ति के अनेक रूप हैं,
महालक्ष्मी का सर्वोच्च स्थान।
धन-लक्ष्मी की महत्ता भारी,
जाने जनमानस और विद्वान।
धन का अर्जन तो होता है,
बचत नहीं यदि हो पाता।
शुक्रवार महालक्ष्मी पूजो,
खपत मार्ग है रुक जाता।
दूध, दही ,शहद और चीनी,
संग कमलगट्टा, धूप-दीप चढ़ाएंँ।
भक्ति- भाव से महालक्ष्मी को पूजें ,
अपव्यय सभी रुक जाएंँ।
रात्रि काल में घी,कपूर, धूप से,
माॅं का कर लो दीपआराधन।
धन-धान्य में होगी वृद्धि,
संग संचय होगा मणिकांचन।
6- सावन का शनिवार
दुष्प्रभाव सभी हर लेता,
सावन का शनिवार।
विघ्न- बाधा सब दूर है करता,
खुशियाॅं देता अपरंपार।
वेद- पुराण सभी माने हैं,
सावन मास महत्व।
भोले को नर -नारी पूजो ,
पाओ जीवन में सत्त्व।
सावन ,सोम महिमा अति भारी,
पर शनि को ना भूलो नर- नारी।
संपत शनिवार इसे हैं कहते,
शनिदेव हैं पूजे जाते।
कुप्रभाव है शनि का कटता,
जनमानस ना कहीं भटकता।
शिव शिष्य, धर्मशास्त्र इन्हें कहता,
परम भक्त भी माना जाता।
सावन शनि को पूज लो प्यारे,
शिव और शनि कर देंगे वारे न्यारे।
दोनों का आशीष मिलेगा,
बिन माॅंगे हर चीज़ मिलेगा।
शनि कोप से बच जाओगे,
हनुमत कृपा भी तुम पाओगे।
शनि शांत जब हो जाएंँगे,
आरोग्य ,धन -संपति वर्षाएंँगे।
लौह कटोरी कड़वा तेल,
मध्यमा उंगली से हो मेल।
शनि का जाप करो चित्त लाकर
दीन- दुखी को तेल दानकर।
रुका हुआ धन आ जाएगा,
बिगड़ा काज सॅंवर जाएगा।
सरसों तेल शिवलिंग पर चढ़ाओ,
तेल से ही अभिषेक कराओ।
नीम की लकड़ी हवन करो तुम,
काले तिल की आहुति दो तुम।
घर -परिवार सभी खुश होंगे,
दुष्प्रभाव से शनि मुक्ति देंगे।
दुख -बाधा सब दूर करेंगे,
सावन शनि सुख -समृद्धि देंगे।
7- सावन का महीना और रविवार
पापनाश जो करना चाहें,
सावन रविवार के रवि को पूजें।
हस्त नक्षत्र युक्त सप्तमी तिथि हो तो,
यह धन-धान्य से गूथें।
शिव मंदिर में सूर्य विराजें,
दोनों को पूजें हम साथ।
सूर्य देव शिव स्वरूप हैं,
शिव पुराण कहता यह बात।
शिव और सूर्य को साथ में पूज के,
दूर हों जीवन से सभी कष्ट।
खुशियों की बस आभा फैले,
हो ना सके जो कभी भी नष्ट।
सूर्य और शिव को संग में पूजें,
स्वास्थ्य लाभ भी हम पाएंँ।
काल और भय से मिल जाए मुक्ति,
सुख- शांति यहाँ जम जाएँ।
लाल चंदन दोनों को चढ़ाएंँ,
लाल कनेर करें सूर्य को अर्पित।
गुड़ और लड्डू का भोग लगाएंँ,
पा जाएंँ शुभ फल मनवांछित।
मन, कर्म, वचन से जो नर पूज ले,
भवसागर से तर जाएँ।
आदि- व्याधियाॅं देखकर भागें,
दोनों के भक्तों से डर जाएँ।
साधना शाही,वाराणसी
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