शनि ,अप्रैल 29 शुभ दिन,
जब 41वाॅं अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाएंगे।
नृत्य की महत्ता क्या जीवन में ,
जन-जन को बतलाएंगे।

हॅंसी- खुशी को व्यक्त करने का,
जरिया यह है सशक्त ।
सीख इसे वो ही हैं सकते ,
जो इस पर हों आसक्त।

कूट-कूटकर भरी हो क्षमता,
हिम्मत भी होवे भरपूर ।
कुंठा, निराशा पास न फटके,
तब होवे मानव मशहूर।

आईटीआई एवं अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समिति ने ,
इसका किया शुरुआत।
29 अप्रैल 1982 में पहली बार मना था,
मना अनवरत उसके बाद।

जीन जार्ज नोवर का जन्म दिवस यह,
जो नृत्य दिवस रूप में मनता।
जो पारंगत बैले डांसर थे,
जाने जगत की जनता।

नृत्य कला पर लिखे किताबें,
जो बड़ी ख्याति अर्जित कीं।
लेटर्स ऑन द डांस, लेट्स मी द बेले ,
यह काफ़ी चर्चित थीं।

प्रत्येक कार्य का हेतु है होता,
अहेतु ना होवे कोई काज।
इसे मनाने का भी हेतु है,
जानो, बच्चे, बूढ़े सब आज।

लोकप्रियता मिले नृत्य कला को,
ना होवे कभी उपेक्षित।
विद्यालय पाठ्यक्रम में होवे शामिल,
ले नन्हें-मुन्ने हों हर्षित।

ईश्वर प्रदत्त यह गुण सबमें हो,
यह है नहीं अपेक्षित।
नृत्य मंच पर कदम रखो तो,
कला ग्रहण करो इच्छित।

सकल जगत को नृत्य ही जानो ,
सृष्टिकर्ता इस नृत्य मंच के नर्तक ।
प्रतिक्षण ये आते- जाते हैं ,
देते रहते नव दस्तक।

तन- मन का जब मिलन हो जाता,
नृत्य जन्म है लेता।
‍ युगों पुराना नृत्य कला है ,
जो प्रतिक्षण ऊर्जा को देता।

ओडिसी ,मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी ,कथकली, भरतनाट्यम और कत्थक।मणिपुरी सत्त्रिया मशहूर हैं*,
*ओडीस* सर्वाधिक है जीवनंतक ।

मांसपेशियाॅं मज़बूत है करता,
वज़न को भी है घटाता।
आत्मविश्वास है प्रतिक्षण भरता ,
एकाग्रता सदा जगाता ।

उम्र बढ़े पर दिखे न जल्दी,
नृत्य का ऐसा प्रभाव ।
इससे अच्छी कसरत ना दूजा
थकान, आलस ,प्रमाद को दूर भगाव।

तनाव ,अनिद्रा दूर है करता, अवसाद न पास फटकता।
नृत्य को अच्छा वैद्य तुम जानो ,
जो स्वास्थ्य ,आरोग्यता, प्रसन्नता देता।

साधना शाही,वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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