आज़ादी अधिकार सभी का जहांँ बोलते सेनानी ।
विश्व शांति के गीत सुनाती जहांँ चुनरिया है धानी ।
मेघ सांँवले बरसाते हैं,
जहांँ अहिंसा का पानी ।
अपनी मांँगे पोछ डालतीं, हंँसते-हँसते कल्याणी ।
अपनी गोद को सूनी करके,
मांँ हंँसकर देती बेटों की कुर्बानी।
ऐसी भारत मांँ के बेटे,
मान गंँवाना क्या जाने।
मेरे देश के लाल हठीले,
शीश झुकाना क्या जाने!

ऐसे ही हठीले हमारे देश के लाल की बदौलत ही आज हम लोगअपने देश का 77वाँ स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं।12 मार्च 2021 को अहमदाबाद में आजादी के अमृत महोत्सव का आगाज़ किया गया था। जो देश के कोने- कोने में 75 हफ्तों तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिसका उद्देश्य था सूर्य जितना तेजस्वी, आकाश जितना विशाल , ज्ञान- विज्ञान और समृद्धि से सजे हमारे देश के इतिहास से जनमानस को अवगत कराना।आधुनिक भारत के शिल्पकारों के दिशा निर्देश का पालन कर कदम से कदम मिलाकर देश किस प्रकार आगे बढ़ा ,जिस देश को सपेरों का देश कहा जाता था वह देश मंगल तक पहुंँचा, मेक इन इंडिया इन तीन शब्दों ने किस प्रकार हमें पूरे विश्व में नई पहचान दिलाया। इन सभी बातों से भी संपूर्ण भारतीयों को अवगत कराना।

आज हमारा देश आत्मनिर्भरता के मार्ग पर बड़े ही तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है, तथा वह मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् की संकल्पना को चरितार्थ कर रहा है। किंतु यह सब तब तक संभव नहीं था, जब तक हमें स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य व पराक्रम से प्राप्त प्रेरणाओं का अमृत नए विचारों व संकल्पनाओं का अमृतपान न मिलता। अतः हम कह सकते हैं कि यह अमृत महोत्सव, स्वतंत्रता दिवस कोई सामान्य महोत्सव न होकर राष्ट्र के जागरण का महोत्सव है ,स्वराज्य के सपनों को पूर्ण करने का महोत्सव है ,वैश्विक विकास का महोत्सव है । हम आज़ादी की लड़ाई तथा अलग-अलग संग्रामों के बारे में पढ़ते तथा सुनते हैं यह घटनाएँ हमें प्रेरणा देती हैं, एक संदेश देती हैं, जिन्हें आज का भारत आत्मसात कर लाल, बाल ,पाल के सपनों को साकार कर प्रगति पथ पर अग्रसर हो सकता है।

1857 तथा 1942 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह के ताकत की याद दिलाना ,तिलक का पूर्ण स्वराज का आवाह्न, नेता जी के नेतृत्व में आज़ाद हिंद फौज का गठन, दिल्ली चलो का नारा , अंग्रेज़ों भारत छोड़ो का उद्घोष ऐसे अनगिनत पड़ाव हैं, जिनसे ऊर्जावान होकर अपने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने का हर संभव प्रयास कर सकते हैं।

किंतु, अफ़सोस के साथ हमें या कहना पड़ रहा है कि आज कुछ मुट्ठी भर लोग अपने क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति हेतु हमें मकसद से भटकाने का प्रयास कर रहे हैं। वे देश को जाति, धर्म , मज़हब, भाषा आदि के नाम पर खंडित करना चाहते हैं ।और हमारे मूल मकसद से हमें भटकाना चाहते हैं। किंतु

ऐसा काम हमें करना है जिस पर गर्व दिखाई दे।
इतनी खुशियांँ बाँट सकें हम
हर दिन पर्व दिखाई दे।
इस मंत्र को आत्मसात करके काम करना है जिससे कोई भी अराजक तत्व हमारे हौसले को तोड़ने में सफ़ल ना हो सके
क्योंकि
15 अगस्त का दिन कहता, आज़ादी अभी अधूरी है ।
सपने सच होने बाकी हैं,
रावी की शपथ न पूरी है ।
तो हमें रावी की शपथ को पूरा करना है, एक सशक्त आत्मनिर्भर और अखंड भारत का निर्माण करना है यदि हम ऐसा कर सके तभी हम एक सच्चे भारतीय कहलाने के अधिकारी हैं।
और अंत में
उस स्वर्णिम दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें ।
जो पाए उसमें ना खोएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें।
शब्दों के साथ अपनी वाणी को विराम देना चाहती हैं ।

जय हिंद ,जय भारत।
साधना शाही ,

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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