आभूषण हो तेरा हिम्मत,
किसी हाल में यह ना टूटे।
थककर ना है तुझे बैठना,
जो बैठे उसकी किस्मत फूटे।
फ़ौलादी हों तेरे इरादे,
हार स्वीकारने जो ना कभी दें।
तुझको जाना बहुत दूर है ,
तू सक्षम है ना मज़बूर है।
खर- पतवार तुझे जो समझा,
उसको भारी होके दिखाना।
नील गगन पे छाना बच्चा,
सशक्त नारी हो के सिखाना।
विश्वास कभी तेरा ना कम हो,
जीवन में तेरे ना गम हो।
यह तो ऐसी शक्ति है लाडो,
निशा अमावस में ना तम हो।
उजड़ी दुनिया यही बसाता,
अंधियारे को दूर भगाता ।
एतमाद की शक्ति को जानो,
स्व – एतबार ही जीत दिलाता।
अगम – अगोचर पथ हों तेरे,
देख उन्हें कभी हार न जाना।
पर्वत से जो निकली सरिता,
सागर तक उसको है जाना।
उस सरिता सा तुझको बनना,
मंजिल के पहले ना रुकना।
आंधी तूफान जितने आएं,
चुटकी में तुम उन्हें मसलना।
साधना शाही, वाराणसी