काकर, पाथर ,शूल सा,
जीवन कभी ना होय।
फूल सा इसको कीजिए,
ना करिए विष गोय।

रिश्ते-नाते जानिए,
जीवन वृक्ष आधार।
इससे रहित जो जीवन है,
समझें उसको बेकार।

रिश्ते नातों का रखें अहमियत,
ऐसा जीवन जियो।
सुख- समृद्धि से भरा यह होगा,
गरल कभी ना पियो।

रिश्तो की जो कद्र न करता,
सज़ा सा उसका जीवन लागे।
अपनों संग वो है मुरझाए,
गम में सोए, गम में जागे।

इतना प्रगाढ़ संबंध बनाओ,
दूर भी रहके याद तुम आओ।
पल भर भी कोई भूल न पाए,
याद करना, मज़बूरी बनाओ।

रैन बसेरा है एक दुनिया,
जीवन कितना ना कोई जाने,
हंँस- खेलकर रह लो यारों,
हर कोई अपना तुम्हें माने।

करतब ऐसा जग में कर लो,
सबके दिल पर राज करो।
हंँसी- खुशी से जीवन बीते,
ऐसा तुम आगाज़ करो।

करो परिश्रम सबको जीतो,
नहीं किसी से हारो तुम।
सबके आंँख के तारे बन जाओ,
बन जाओ सबको प्यारे तुम

प्यार की वर्षा बंजर हिय में,
भी उर्वरता लाती है।
निराशा के जो मध्य घिरा है,
उसमें आशा जगाती है।

आशा का एक मद्धिमम दीपक,
एक दिन सूरज सा चमकेगा।
हर दिल का अंँधियारा हरकर,
पूनम सा वह दमकेगा।

साधना शाही वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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