चंदा मामा दूर नहीं, टूर गए हैं।
लेने वह तो खुशियाॅं ,भरपूर गए हैं।
चंद्रलोक पर चाँद गया, करने ढेरों ख़ोज।
जन गण मन गाया जाएगा, भरकर पूराओज।
ओज के संग फहरेगा झंडा, भारत का बढ़ेगा मान।
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में, होगा सम्मान।
प्राप्तिऔर उत्थान में, एक और आदर्श।
अब तक जो ना हो पाया था, हो गया है इस वर्ष।
असभ्य,सपेरा कहने वाले, आज हुए शर्मिंदा।
आंँखें खोल के देख लो यान को, अब ना करना निंदा।
धर्म और विज्ञान का, हो गया अद्भुत मेल।
चंद्रयान का लैंडिंग करना, ना बच्चों का खेल।
धर्म को भारत मानता, ना माने रूढ़िवादिता।
सदियों से ही भारत भूमि, सकल विश्व की वंदिता।
धर्म कभी ना बना है बाधा, अनुसंधान किया विज्ञान।
विश्व गुरु ना यूँ कहलाया,भरा था इसमें ज्ञान।
सोना, चांँदी, हीरे, मोती, का है यह भंडार।
सोने की चिड़िया बसती थी, हर वृक्षों की डार।
अनुसंधान विज्ञान किया, लॉन्च किया चंद्रयान ।
इसरो का कल्याण हो, और भी फैले ज्ञान।
चंदा पर बड़ा रहस्य है, अंतरिक्ष एजेंसियाँ लीं जान।
भंडार मूल्यवान धातुओं के, अब यान करे पहचान।
प्लैटिनम जैसे मँहगी धातु, चंदा पर मिल जाय।
संकेत सल्फर के भी मिलते, ढूंढें तो पा जाँय।
चंदा वह स्थान है, जहांँ खनिज है ढेर।
रस तंत्र की ना कमी, यान देख लिया बिन देर।
धरती और चंदा का, रुप बहुत है मिलता-जुलता।
इतनी सुंदरता है इसमें, धोए से ना धुलता।
पृथ्वी का इकलौता ग्रह है,जो है इतना मूल्यवान।
चंद्रयान अब हमें बताए, छिपा बहुत जो ज्ञान।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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