मैं तो दिया प्यार का जलाऊँगी,
भेद-भाव फैला है जो मिटाऊँगी।
सद्भाव, सदाचार ही चहुंँओर फैले,
ऐसा अपने देश को बनाऊंँगी।
मैं तो दिया प्यार का जलाऊँगी,
भेद-भाव फैला जो मिटाऊंँगी ।
तमस ने आके जो हमें घेरा,
वहांँ पर रोशनी फैलाऊंँगी।
विश्व गुरु देश फिर से बन जाए,
ऐसा करतब मैं तो कर जाऊंँगी।
मैं तो दिया प्यार का जलाऊँगी,
भेद-भाव फैला जो मिटाऊँगी।
देश को हम कभी न बँटने दें,
अनेकता में एकता न हटने दें।
इसे खंडित जो करें मुंँह तोड़ें,
इसे वल्लभ की सोच सा बनाऊंँगी।
2-मेरे देश पर बुरी नज़र जो डालेगा,
सच कहती हूंँ मैं वो नर्क को खंँगालेगा।
यहांँ ऋषि- मुनियों ने तप किया भारी,
कोई बेगैरत ही नहीं इसे सँवारेगा।
3-इसे खंडित की आस
लेके जो भी आएगा,
जाने वह कि अपने पैर पर न जाएगा ।
छल किया जो मेरे देश से तो सुन लो सभी,
गद्दारों की भांँति वह तो सख़्त सज़ा पाएगा।
4-बच्चे फूल हैं, वो शूल से ना हो सकते,
किसी कीमत पर हम उनको नहीं हैं खो सकते।
ये ही देश के हमारे कर्णधार हैं जी,
बाल बांँका कोई अरि नहीं कर पाएगा।
5-हमें आपस में तोड़कर जो लड़ाना चाहे,
भाई -भाई का ही ख़ून बहाना चाहे,
पैर पर आके वो बैसाखी लेके जाएगा,
एकता का मूल मंत्र वह सदा दोहराएगा।
6-यदि गद्दार कोई बुरी नज़र से देखेगा,
मुश्किल में जान वो अपनी ही करके लौटेगा।
इसकी रक्षा की खा़तिर शीश हम कटा देंगे,
जग वीरता को बढ़ व चढ़के देखेगा।
7-देश की खा़तिर हम मर मिटेंगे ऐ यारों!
जज्बा दिल में ऐसा ही हम पालें प्यारों।
प्रगति, उन्नति सतत ही देश अपना कर जाए,
जाति- धर्म रूपी दानव को जब मारो।
8-चलो हर घर में अब शिक्षा का हम आग़ाज़ करें,
देश की शान बढ़े ऐसा सदा काज करें।
सुदृढ़ हों देश के संग बहुएंँ और बेटियाँ भी,
चलो भारत को आज फिर से हम सरताज करें।
09-दहेज का दानव सुरसा सा जो है आज खड़ा,
बेटा बिक रहा बाजार में अस्मत है गड़ा।
चहुँ रिश्वत का ही बस आज बोलबाला है,
देश की खा़तिर इसको नष्ट तो करना है पड़ा।
10-सुनो सबकी पर अपनी ही सदा तुम करना,
सच्चाई खूब फैले झूठ को तुम गुम करना।
देश का मान व सम्मान जो बढ़ाना है ,
कर्म हर क्षण ही सदा मन लगाके तुम करना।
साधना शाही वाराणसी