
दिशा- दशा ना तय करे अंक,
थोड़े दिन बस जमा दे रंग।
रंग हो फीका कुछ दिन बाद,
बच्चों ना लेना अवसाद।
खुशियों की बारिश अंक कहीं किए, गमों के बादल बन कहीं झर गए। कुछ के अथक परिश्रम रंग दिखाए, कुछ ज़रा चूके और फिर डर गए।
देखो आज आया परिणाम,
मची हैं खुशियाॅं धूम- धड़ाम।
कुछके चेहरे गिरे हुए हैं,
आंखों में आंसू अविराम।
अति प्रसन्नता का किसी हेतु दिवस है,
कुछ के लिए गरल बन आया।
तज मायूसी बढ़ जाओ आगे,
क्यों तुमको इतना डरवाया?
परिश्रम जीवन का पथ तय करेगा,
जो करले निरंतर ना भय से भरेगा।
अंकों की दौड़ में कुछ पीछे जो छूटे,
निकलोगे आगे उद्यम न टरेगा।
जीवन की ना यह अंतिम चुनौती,
कम अंकों को ना तुम समझो पनौती।
हिम्मत ,साहस की ये सीढ़ी मजबूत ,
परिश्रम में ना बस तुम करो कटौती।
चुनौती का डट करो सामना,
हताशा, निराशा को पड़े हारना।
ज्ञानार्जन तुम्हारा विफल नहीं होगा,
पहले से दूना उद्यम तुम करना।
शत-प्रतिशत दे दुखी भला क्यों हो?
तजो निराशा, खुशियाॅं जोहो
प्रताड़ित न करना माता- पिता तुम,
उनकी कुंठा तुम स्नेह से धोओ।
दूजे से ना, अपने बच्चे को आंको,
उनकी कला निरंतर तुम झांको।
आत्मविश्वास सदा उनमें जगाना,
विश्व मंच पर सफ़ल उनको पाना।
साधना शाही, वाराणसी