फूलों की तुम चाह न करना,
काॅंटों पर चल दिखलाना।
पाहन आकर मार्ग जो रोके,
उसको चूर तुम कर जाना।

जब तक मंजिल मिल ना जाए ,
नींद ना आए आंखों में।
अथक परिश्रम कर दिखलाना ,
उलझ न जाना बातों में।

विपदाओं से ना घबराना ,
उनको धूल चटाना तुम।
मेहनत और लगन का बेटा,
सदा ही साथ निभाना तुम।

कृपा पात्र ना किसी की बनना,
खड़ी न होना तुम करबद्ध।
कर्म अनवरत करते जाना,
स्व-सपनों में होना आबद्ध।

आस-विश्वास प्रभु पर करना,
उनसे नेह लगाना तुम।
नफ़रत की ना खेती करना,
प्रेम की फ़सल उगाना तुम।

द प्रोफाउंड लेशंस ऑफ़ भागवत गीता ,
गीता सा यश फैलाए।
अर्जुन सा यशवान बनाए,
योगेश्वर सा पथ दिखलाए।

कर्म से कभी विमुख ना होना,
कर्मवीर बन दिखलाना।
जड़ जो तुमको है खर समझा,
सोच को उसके झुठलाना।

जीवन का हर पल हो मुबारक,
मुबारक हो हर बड़ी,छोटी जीत।
दुख, व्यवधान सभी हों मुबारक,
कुछ कर दिखाने की जो लाया जिद्द।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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