होली रंगों का त्योहार,
खुशियां लाए अपरम्पार,
झूमे सारा जग संसार,
छाई मस्ती की बहार,
आओ खेलें ,
आओ मिलजुल के खेलें,
होली सखी, आओ खेलें।
कान्हा की नगरी जयकार,
मथुरा- वृंदावन गुलजा़र,
कभी है लड्डू की बहार ,
कभी है फूलों की बौछार,
आओ खेलें,
आओ मिलजुल के खेलें,
होली सखी, आओ खेलें।
सभी के दिलों में उमड़ा प्यार,
हुरियाइनें लट्ठ लेके हैं ठाढ़,
हुरिया खाएं लटृठ की मार,
बरसे प्रेम की बस बौछार,
आओ खेलें,
आओ मिलजुल के खेलें,
होली सखी, आओ खेलें।
उत्सव यह अद्भुत अपार,
रमे राधा- कृष्ण भक्ति में संसार,
वृंदावन, बरसाना का घर द्वार,
तज दिए मोह- माया का भार,
आओ खेलें,
आओ मिलजुल के खेलें,
होली सखी, आओ खेलें
साधना शाही, वाराणसी