अरुणेश है नाम तुम्हारा,
प्रकाश फैलाना काम तुम्हारा।
अंँधियारा समक्ष टिके ना,
तुम्हें काम हो ऐसा प्यारा।

राह सदा चुनना तुम सच्चा,
परिष्कृत करना और सजाना।
जन्मदिवस तेरा शुभ हो बच्चा,
सदा ही आगे बढ़ते जाना।

उम्र आज तेरी हो गई चौदह,
उदारता का प्रतिनिधित्व जो करता।
निवास करे बलिदान संग में,
नव निर्माण, नव सृजन है करता।

अन्यायी को धूल चटाता,
विनाशकारी लहर ले आता।
परिवर्तन प्रतीक है चौदह,
तभी विद्या चौदह कहलाता।

चौदह को तुम पूर्ण किए हो,
चौदह को ही अब तुम गहना।
यश नभ में पहुंँचाने खा़तिर,
बाधाओं से ना तुम डरना।

दंभ,दर्प कभी छू ना पाए,
विनय को गह के रहना।
उन्नति पथ पर आगे बढ़ना,
सत्, संयम हो तेरा गहना।

तेरे चेहरे पर मुस्कान खिले,
कभी न गम तुझे छूने पाए।
विजय पताका तेरा बच्चा,
ऊँचे नील गगन लहराए।

जीवन का हर इम्तिहान हो अव्वल,
कभी न इससे तुम घबराना।
धैर्य सदा तू धारण करना,
हर चेहरे पर मुस्कान खिलाना।

खटास सदा जीवन से दूर हो,
जीवन में हो भरा विश्वास।
नई उमंगें, नई तरंगें ,
पूरी हो जीवन की हर आस।

घर का रौनक बनकर रहना ,
बनना जान से प्यारा।
जन्मदिवस का यही है तोहफा,
प्यारा कान्हा, सबका दुलारा।

तुझसे घर में खुशियांँ आएँ,
रोशन हो घर सारा।
देशकाल का नाम करे रोशन,
बन मात-पिता का राज दुलारा।

तीज, त्योहार में जान तू डाले,
तुझ बिन घर लगता निष्प्राण।
हर अपनों के बन आँख का तारा,
हर लेना तुम सबके त्राण।

साधना शाही,वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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