जीवन का सफ़र शुरू हुआ है,
इसको आगे बढ़ाना है।
अपनी मेहनत से तुमको ,
कई इतिहास रचाना है।
मंजिल जब तक मिल ना
जाए,
आंखों से भग जाए नींद।
हर सपना तुम पूरा करना,
पूरा करना हर उम्मीद।
उम्मीद की इस भित्ती पर ही,
माॅं-बाप का जीवन आश्रित।
अपनी मेहनत और लगन से,
इसको कर देना परिमार्जित।
विरोधी बातों को ना गहो तुम,
गर्त में डाल आगे बढ़ जाओ।
उन्नति यदि करना चाहो तो,
स्व दोष को तुम तज पाओ।
ग्रहोगे गुण तो गुणआएगा,
अवगुण- अवगुण दे जाएगा।
बीज के जैसी फसल उपजती,
जो बोएगा वो पाएगा।
नेक करोगे, नेक बनोगे,
एक नहीं प्रत्येक बनोगे।
बद तो है बदनाम बनाता,
जीवन में क्या मेख बनोगे?
साधना शाही,वाराणसी