मेरी आज की कविता उन बच्चों के लिए है ,जो थोड़े परिश्रम से घबरा जाते हैं। किंतु उन्हें याद रखना चाहिए कि वही कुंदन खरा होता है जो सर्वाधिक तपाया जाता है। अतः यदि आप को जिंदगी में बड़ा मुकाम हासिल करना है तो बनाते हुए आगे निकल जाना है।
मत कर तू यह मलाल ,
मित्र फिर ना मिलेंगे।
बस, बन जा मां का लाल,
वे सारे लौट आएंगे।
यह वो दौर है जिसको लगा दे,
खरा सोना बनाने में।
एक दिन ऐसा भी होगा,
सभी चकाचौंध हो जाएंगे।
घरों और मंदिरों में लगने वाला ,
पत्थर एक ही होता।
एक को रौंदा जाता है ,
दूजे को पूजा जाता है।
जो रौंदा जाता है,
वो जीवन में आराम फरमाया।
जो पूजा जाता है ,
वो कट, पिट, घिसकर महान बन आया।
फैसला तुझको करना है,
तू पत्थर कौन सा होगा?
पैर तले रौंदा जाएगा,
या श्रद्धा से पूजा जाएगा?
इतिहास में झांक कर तू देख,
जो स्वर्णाक्षरों में हैं अंकित।
कर्म अनवरत करते गए वो,
जीवन में ना हुए कभी भयभीत।
साधना शाही, वाराणसी