बड़ी ही विकसित आज की दुनिया,
यह तेजी से भागे।
हिस्सेदारी पर स्वास्थ्य हमारा,
आवश्यकता है हम सब जागें।

काम- धाम सब याद हैं रखते,
स्वास्थ्य देख-भाल भूल हैं जाते।
सर्वाधिक ज़रुरी कार्य यही है,
इसे भूल हम शूल अपनाते।

समय नहीं आज हमारे पास,
करें कैसे शारीरिक अभ्यास।
ऐसे में योग है बहुत ज़रूरी ,
अवश्य करें हम योगाभ्यास।

तन- मन दोनों को स्वस्थ रखे यह,
दोनों को ही करे निरोग।
प्रात- सांँझ हम इसको कर लें,
तत्पश्चात लगाएंँ भोग।

स्वास्थ्य यदि ना अच्छा है तो,
यह जग हमको लगता नश्वर।
योग से यह वरदान मिलेगा,
हम ना कहते,कहते योगेश्वर।

योग यदि हम नियम से कर लें,
तन- मन,धन सब ही हो अच्छा।
स्वस्थ, सुरक्षित धरती होगी,
होगा सुरक्षित एक- एक बच्चा।

सूर्योदय से पहले जागें,
नित्य क्रिया भी कर लें।
ताम्रपत्र का पानी पीएँ,
जीवन को सुख से भर लें।

करें नौकरी या उद्योग ,
पर ना भूलें कभी भी योग।
सच्चा मित्र हमारा है यह,
पास ना आने देगा रोग।

साँसें भरकर कर लें बाहर,
प्राणायाम इसे हैं कहते।
नियम विधि से इसे जो कर लें,
वो हैं कोई कष्ट न सहते।

प्राणायाम सामान्य नहीं है,
दिल- दिमाग दुरुस्त है करता।
इसको है जो नियम से करता ,
पूरा दिन वो खुश है रहता।

करें खाली पेट अनुलोम विलोम ,
रोग- व्याधि का कर दें होम।
संग में भ्रामरी, भस्त्रिका जो करता
रक्तचाप, तनाव, मन चंचलता ना धरता।

प्रकृति सब कुछ शुद्ध है देती ,
देती है हमें अनमोल खज़ाना।
ज्ञान, विवेक से ना हम रखते,
इसीलिए भरते हर्जाना।

स्वस्थ, सुरक्षित, सुखी जीवन का,
मूल मंत्र यही है यारों ।
योग ,प्राणायाम नियम से कर लो,
दुख संताप को गर्त में डारो।

वेद, पुराण, शास्त्र ,
स्मृतियाँ सब ही,
योग की महिमा को हैं गाते।
बड़े-बड़े सिद्ध पुरुष, मुनि भी,
जीवन में अपने अपनाते।

योगेश्वर प्रदत्त यह शक्ति साधना,
जीवन में जो भी अपना ले।
स्वस्थ, सुरक्षित जीवन होगा,
कोई भी भ्रम ना इसमें पालें।

चक्रासन, वज्रासन कर लें,
पद्मासन भी हम कर लें।
सुंदर, स्वस्थ, निरोगी काया,
अपने जीवन में भर लें।

योग के लाभ है इतने सारे,
नहीं गिना है कोई सकता।
इसको करके अनुभव कर लो,
कोई कष्ट नहीं रह सकता।

कंद, मूल, फल सब कुछ खाओ ,
पर यदि नहीं योग हो करते।
निराशा, कुंठा, अवसाद से,
अपने जीवन को हो भरते।

योग के साथ यदि हम मित्रों,
आयुर्वेद को भी अपना लें।
ना भारत संपूर्ण विश्व को,
रोगमुक्त हम पा लें।

चलो आज हम करें प्रतिज्ञा,
इसको सदा हम अपनाएंँगे।
योग दिवस ना झूठा होगा,
सफ़ल इसे हम कर जाएंँगे।

21 जून वह शुभ दिन है,
जो सबको ही करे निरोग।
इसको कभी न भूलो मानव,
आओ हम सब मिल कर लें योग।

साधना शाही,वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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