
1- घर आ जाओ मेरे मीत,
कि सजनी बुलाती है।
करूंँ कैसे करवा चौथ रीत,
याद तेरी आती है।
घर आ जाओ मेरे मीत,
कि सजनी बुलाती है।
धन और दौलत तुझसे ना मांँगू2
मांँगू- मांँगू मैं तो तेरा प्रीत
कि सजनी बुलाती है।
घर आ जाओ मेरे मीत,
कि सजनी बुलाती है।
ओ मेरे चंदा तू थम के आना2
पहले आ जाएँ मेरे अधीप
कि सजनी बुलाती है।
घर आ जाओ मेरे मीत,
कि सजनी बुलाती है।
तेरी याद में दिन- रात तप ली
आके जीवन को कर दो शीत
कि सजनी बुलाती है।
घर आ जाओ मेरे मीत,
कि सजनी बुलाती है।
चांँद को पूजूँ अर्घ चढ़ाऊँ
गाऊँ मै तो पिया जी के गीत
कि सजनी बुलाती है।
घर आ जाओ मेरे मीत,
कि सजनी बुलाती है।
2-ओ साजन तेरे खा़तिर,
मैं करवा चौथ कर ली।
ओ मेरे प्रीतम मैं तो,
बस तुझ पर ही मर ली।
ओ साजन तेरे खा़तिर,
मैं करवा चौथ कर ली।
निर्जल व्रत मैं भक्ति से की हूंँ,
अपने पिया की मैं प्रेयसी हूंँ।
दुनिया को छोड़ के मैं2
बस तुझको ही वर ली।
ओ साजन तेरे खा़तिर,
मैं करवा चौथ कर ली।
मेरे पिया जी जल्दी आजा,
अपने हाथ से पानी पिला जा।
तेरे हाथ से पीके पानी2
मै जीते जी ही तर ली।
ओ साजन तेरे खा़तिर,
मैं करवा चौथ कर ली।
सोलह श्रृंगार तेरी खा़तिर की हूंँ,
मैं साजन तेरे संगिनी हूंँ।
तेरे साथ में रहकर2
तेरे प्यार से जीवन भर ली।
ओ साजन तेरे खा़तिर,
मैं करवा चौथ कर ली।

3- सैनिक की पत्नी बन पाना,
है काम कोई आसान नहीं।
अंगारों पर चलना होता,
पर होता कोई गुमान नहीं।
हम सबकी रक्षा खा़तिर,
वह सीमा पर रहता है।
नववधु उसकी घर में है,
मिलने की तैयारी करता है।
पर यह क्या!जंग छिड़ी तब ही,
उसका आना स्थगित हुआ।
उसकी वधू अब भी खुशदिल थी,
मन उसका ना था व्यथित हुआ।
करवा चौथ के आने में,
बस कुछ दिन ही बाकी था।
फ़ौजी रण में कुर्बान हुआ,
चौथ के दिन अब खाकी था।
उस खाकी को ले पूजन की,
आँखें ना उसकी गीली थी।
पी लिया था उसने अश्कों को,
सिसकी को अपने सी ली थी।
आओ आज इस चौथ पर हम,
उस वीरवधू को नमन करें।
हमारी खा़तिर जो पिया को खोई,
एक, दो नहीं पूरा चमन करे।
नारी रूप में वीरवधू वह,
साक्षात देवी की मूर्ति है।
उसके हौसले को करें सलाम,
आज भी उसमें फूर्ती है।
साधना शाही, वाराणसी