जो बड़ी-बड़ी गलतियों को सेकंड भर में माफ कर दे ,
वह माॅं होती है।
जो गुस्से में भी बच्चों पर सिर्फ़ प्यार ही लुटाए ,
वह माॅं होती है।
जिसके होठों पर सदा हम बच्चों के लिए मुस्कान हो,
वह माॅं होती है ।
जिसका आशीष पत्थर पर भी दूब उगा दे ,
वह माॅं होती है।
जो बच्चों के हित हेतु, पल में हवाओं का रुख मोड़ दे ,
वह माॅं होती है।
जो क्रूर हृदय में भी संवेदना, भावना, प्रेम का भाव जगा दे ,
वह माॅं होती है।
जो कैक्टस सरीखे जीवन को जूही सा सुवाषित बना दे ,
वह माॅं होती है।
जो जीवन के मृत सागर से अनुभवों को मानसरोवर के जल सा बना दे,
वह माॅं होती है।
जो जीवन में आए पतझड़ को मधुमास सा रोमांचित कर दे ,
वह माॅं होती है।
ऐसा करने वाली दुनिया में सिर्फ़, सिर्फ़ और सिर्फ़ एक माॅं होती है।
जो वीरान पड़े मकान को अपनी मुस्कान से घर बना दे, वह माॅं होती है।
माॅं वह सोनपरी है ,
जिस की दुआ हमारी जिंदगी बना देती है ।
पर याद रखना,
कभी भी माॅं के दिल को मत दुखाना,
उसके आंखों की एक बूंद,
पूरी धरती हिला देती है।
🙏🙏🙏🙏🙏

साधना शाही,वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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