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मेरे बच्चों के कष्टों को ,
हे माॅं! तत्क्षण तुम हर लो।
तुम जगजननी एक माॅं की,
प्रार्थना स्वीकार तो कर लो।
उन विघ्नों को दूर करो,
जिनसे प्रतिक्षण लगता आघात।
उम्मीदों को पूर्ण करो माॅं,
बन जाओ मैया हमारी नात।
चंचल मन को स्थिर कर दो,
हमारी खाली झोली भर दो।
अथक परिश्रम वो करते हैं,
हे मा ! उसको तुम शुभ वर दो।
मूल्यवान तुम उन्हें बनाओ,
ज्ञान का दीपक हिय में जलाओ।
कार्य करें वो नित ही उज्जवल,
मदद करो माॅं हिय हर्षाओ।
मेरी ख़ता को माफ़ करो माॅं,
मार्ग को मेरे साफ़ करो माॅं।
त्रुटि यदि मुझसे हुई है कोई,
अपने शुभकर से ढाप करो माॅं।
आत्मविश्वास तुम हममें जगाओ,
जीवन में माॅं शांति लाओ।
थक गई खर-पतवार सा उड़कर,
वसुधा सी गंभीरता लाओ।
जगत नियंता तुम हो माता,
तुमही सबकी भाग्य विधाता।
तूफ़ानों में आन घिरी हूॅं,
आकर मुझको बचा लो माता।
स्व-प्रकाश से जीवन भर दो,
व्यवधानों को नश्वर कर दो।
विद्यमानता तेरी महसूस करू माॅं,
सत्कर्मों में तत्पर कर दो।
स्व- प्रकाश चहुॅं ओर बिखेरो,
अपनी कृपा दृष्टि दो हमको ढेरो।
माता करो सदा तुम त्राण,
मेरे गृह भी माॅं पग फेरो।
दौर बड़ा ही कठिन है माता,
कोई राह नहीं है सुहाता।
पृष्ठपोषण की आस लगी है,
नेह मेह घहराओ माता।
फैलाके मैं खड़ी हूॅं झोली,
मैया दे दो तुम एक मौली।
दुख वेदना दूर करो माॅं,
आके पड़ी हूॅं तेरी खोली।
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साधना शाही, वाराणसी