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आज बुधवार यानी दुखहर्ता, विघ्नहर्ता , लंबोदर विनायक,गणपति बप्पा का दिन है। आज के दिन लोग गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करते हैं। मान्यता है कि अगर हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी का नाम लिया जाए तो उस काम में विघ्न नहीं आता है। यह तो प्रत्येक हिंदू जानता है कि गणेश जी का वाहन मूषक है और उनकी पत्नियां रिद्धि -सिद्धि। लेकिन कम लोग यह जानते किंतु हममें से बहुत सारे लोग यह नहीं जानते होंगे कि उन्होंने दो विवाह क्यों किया? तो आइए पढ़ते हैं आखिर क्यों हुई थी गणेश जी की दो शादियां।
यदि हम पौराणिक कथा की मानें तो-अपने बेडौल से शरीर को लेकर गणपति भगवान सदा खिन्न रहते थे। क्योंकि उनके बेडौल से शरीर की वज़ह से कोई भी उनसे विवाह करने को तैयार नहीं होता था ।किंतु इनके इसी बेडौल से शरीर पर माता तुलसी मोहित हो गईं और उन्होंने गणपति भगवान के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा। किंतु गणपति भगवान ने उनके प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि वो ब्रह्मचारी हैं । जिससे माता तुलसी उनसे क्रोधित हो गई और उन्होंने उन्हें श्राप दे दिया कि जाओ तुम्हें दो विवाह करने होंगे जिस श्राप के कारण ही उन्हें दो विवाह करने पड़े।
रिद्धि – सिद्धि और गणपति भगवान का विवाह-
जब उनके बेडौल से शरीर के कारण उनका विवाह नहीं हो पा रहा था तब गणपति भगवान दूसरे देवताओं के विवाह में खलल डालने लगे। जिससे देवगण बड़े ही दुखी हुए और वो इस समस्या से निजात पाने हेतु ब्रह्मा जी के पास गए और बोले-गणेश जी सभी के विवाह में विघ्न डाल रहे हैं हमें इस विघ्न- बाधा से निजात दिलाइए।
देवताओं की परेशानी को दूर करने हेतु ब्रह्मा जी ने अपनी मानस पुत्री रिद्धि और सिद्धि को गणेश जी के पास उन्हें शिक्षित करने हेतु जाने को कहा।रिद्धि और सिद्धि ब्रह्मा जी की बात मानकर गणपति भगवान के पास आ गईं और उन्हें शिक्षित करने लगीं। इस प्रकार देवताओं का विवाह बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न होने लगा। जैसे ही गणेश जी के समक्ष किसी के विवाह की सूचना पहुंचती,रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटका देतीं। और इस तरह वह विवाह बिना विघ्न- बाधा के खुशी-खुशी संपन्न हो जाता। जब गणपति भगवान को इस बात का पता चला कि सभी देवताओं के विवाह शांतिपूर्वक संपन्न हो गए और इस कार्य को करने में रिद्धि-सिद्धि ने उनकी मदद की। तब उन्हें लगा रिद्धि- सिद्धि ने उनसे छल किया जिसके फलस्वरूप वो रिद्धि- सिद्धि पर कुपित होकर उन्हें श्राप देने लगे।
गणेश जी को इस प्रकार कुपित अवस्था में देखकर ब्रह्माजी ने उनके समक्ष रिद्धि- सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा। जिसे गणेश जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। जिसके फलस्वरूप गणपति भगवान तथा रिद्धि -सिद्धि का विवाह विधि -विधान से संपन्न हुआ । इस तरह माता तुलसी के श्राप के कारण गणपति भगवान की दो पत्नियां हुईं। गणपति भगवान को रिद्धि- सिद्धि से शुभ और लाभ नामक दो पुत्र की भी प्राप्ति हुई।
पौराणिक मान्यता के अनुसार गणपति भगवान को आमोद -प्रमोद नामक दो पोते भी थे।
साधना शाही,वाराणसी
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