मेरी गुड़िया, मेरा सपना ,
मेरे दिल का चैन आ गया।
कैसे तुझे बताऊं ,
मेरा दिन रैन आ गया।
नज़र भर देख लूॅं बस इसको,
दिल को चैन आता है।
बोझिल मन व आंखें थीं,
तू आई जैन आता है।
मेरे घर का सूरज था,
काले बादल में घिरा।
बेटा तेरे आने से,
उसमें आभा है बिखरा।
तू मेरी आन है बेटा,
तू मेरी जान है बेटा।
मुकम्मल कर दे हर सपना,
तू अभिमान है बेटा।
तू पहचान मेरी बन,
जिसे देखें जगत के जन।
कर दे काज तू ऐसा,
रोशन हो धरा व गगन।
तुझमें तेज अद्भुत है,
प्रबल तप आस है तुझमें।
मुझे चिंता न तेरी है,
भरा मधुमास है तुझमें।
पर तेरे मज़बूत हैं,
उड़ ले तू आकाश।
खेद करें वो नर सदा,
जो पाले सदा खटास।
प्रात काल की आभा सी,
तेरी छवि ले विस्तार।
सज्जन हेतु तू फूल बन,
दुर्जन हेतु कटार।
तेरे जो अरमान हैं,
तोड़ सके ना कोय।
रोड़ा बन यदि कोई आए,
जग में बैरी होय।
प्यार समर्पण भरा हो तुझमें,
पर संग में खुद्दारी हो।
चारुचंद्र सी नभ में दमके,
रवि मयूख अधिकारी हो।
मेरे जीवन की बगिया में,
फल, फूल सा तुम काम करो।
जो ठानो वो पालो सब तुम,
सद्वृत्ति ना नकाम करो।
साधना शाही,वाराणसी