माह है सावन, पक्ष शुक्ल,
तिथि पंचमी जानो तुम।
इस दिन ही नाग पंचमी मनाते,
नाग की रक्षा ठानो तुम।

आओ भाई आओ ,
आज की कथा सुनाते हैं।
बड़ा ही पावन यह त्योहार,
इसकी महिमा गाते हैं।

यह पारंपरिक हिंदू पर्व है,
नाग पूजन का है यह प्रतीक।
नाग को दूध पिलाया जाता,
बहनें भाई सलामती की मांँगे भीख।

नाग को इस दिन हम सब पूजें,
विनती करें हम सब करजोर।
अपनी महिमा बनाए रखना,
घर- बाहर, अंधेर-अँजोर।

गरुड़ पुराण यह हमें बताता,
घर में अपने नाग मूर्ति बनाओ।
खील- दूध फिर उन्हें चढ़ाकर,
मनवांछित तुम फल को पाओ।

अनंत, महानाग, शेषनाग, तक्षक आदि,
सबको मन से याद करो।
सबसे ही तुम करो प्रार्थना,
सबसे ही फरियाद करो।

पंचमी को कोई न छूटे,
विधि- विधान से सबको पूजें।
नागदेव को दूध पिला कर,
मांँग लो मन में जो भी सूझे।

धर्म के संग विज्ञान भी माने,
इसकी महिमा को हैं बखाने।
कृषको के हैं बड़े ही मित्र,
लाएँ जीवन में शुभ चित्र।

खेतों में तैयार फ़सल को,
चूहे जब छति हैँ पहुंँचाते।
सांँप- सपोले मर्दन करके,
अन्न देव को उनसे बचाते।

नागपंचमी का यह पर्व,
देता है हमको संदेश।
मानव! ना इनको क्षति पहुंँचाओ,
कार्य है इनका बड़ा विशेष।

इस विशेष कार्य को करके,
ये मानव के बनते मीत।
ग्रीष्म, पावस में विचरण करते,
छुप जाते कहीं जाके सीत।

मानव अहित करने की खा़तिर,
नाग नहीं धरती पर उपजे।
बड़े लाभ ये हमको देते,
पर्यावरण को संतुलित करते।

इनके बड़े उपकार हैं हम पर,
फ़सल है बचता इनके दम पर,
कर सकें कृतज्ञता इनको ज्ञापित,
मैल हटे, जो जमा है मन पर।

मानव से ये हैं वफादार,
छल से ना कभी कटें यार।
हम जब इनको छति पहुंँचाते,
तब यह करते ये हम पर वार।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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