बिन ठोकर के जीवन जीना,
ना संभव कभी हो पाया है।
चतुर सयाना ताश खिलाड़ी,
बिन जोकर ना हो पाया है।
ठोकर लगना बड़ा ज़रूरी,
जीवन में है यारा ।
तुम इसको ऐसा जानो,
ज्यूं दीपक और अंधियारा।
ताश खिलाड़ी जमा जमाया,
खेल बदल है सकता।
जोकर उसके पास यदि है,
मुंह ना किसी का तकता।
जीवन सफ़ल करने की खातिर ,
संकट आना है ज़रूरी।
सच्चा मित्र, छली और कपटी,
की पहचान रहे ना अधूरी।
नील गगन को छूने वाला,
चुनौती को सहर्ष स्वीकारा।
रिश्ते-नाते आदि-व्याधि से,
कर लिया वारा न्यारा।
बाधा बने जो रिश्ते -नाते,
कर दो उन्हें किनारे ।
ऐ भाभी आप चुपचाप रहिए,
भैया चलो दुआरे।
पेशा मध्य वस्तु जो आकर,
सफलता में डाले अड़ंगा।
अविलंब उसको करो किनारे,
ना होने दो उसे चंगा।
उसकी त्रुटि उसे तुरंत बताओ,
धोखे से उसे न हटाओ ।
पेसे से न कोई समझौता,
अपनी राह पकड़ तुम जाओ।
जीवन में सदा परिधि बनाओ,
भीतर उसके ना किसी को पाओ ,
यदि छल से कोई आना चाहे,
लंका कांड का ध्यान दिलाओ।
साधना शाही,वाराणसी