साॅंच को आंच ना होती,
झूठ कभी साथ ना देती।
सत्य संघर्ष करता है ,
पर अंतिम में फहरता है।

सत्य वचन जो नर वदते ,
शपथ को ना कभी तकते।
जो मिथ्या बात हैं बकते,
शपथ हर बात पर रखते।

सत्य कोहिनूर जैसा है,
वह बिल्कुल हूर जैसा है।
चमक उसकी ना हो फीकी,
इसका नूर ऐसा है।

ऐसे ही नदियों का पानी ,
अविरल है बहता जाता।
ना पथ की चाह है इसको,
सबको निर्मल करता जाता।

नदी नाले सभी को ही ,
अपने साथ है रखता।
जाकर मिलता सागर से ,
सदा बेबाक है रहता।

नदी और सत्य सा मानव,
इरादा तुम जो रख पाओ।
लौह सी मज़बूती देकर,
हर मंजिल को तुम पाओ।

नील गगन में तुम छाओ,
खुशी से झूमो गाओ।
व्यथा छू ना पाए तुमको,
सदा फूलों सा मुस्काओ।

साधना शाही, वाराणसी

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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