-1 अद्भुत दर्शन भोले का

सावन क रिमझिम ह बुनिया,
इ ह भोले क दुनिया।
भीजते- भीजते हम गंगा नहईलीं,
गंगा नहाइके भोले दर्शन कइलीं।
तरबतर हो गईल बा बदनिया, इ ह भोले क दुनिया।

आज हमरे लल्ला के अवतरण दिवस ह,
राह हमार रोक ले इ केकर बस ह।
रहिया, डगरिया भईल तहस-नहस ह,
पनियों में भक्तन के भीड़ बड़ा कस ह।
रोक पवलस ना ई पनिया- बुनिया,
इ ह भोले क दुनिया।

जल भर लोटा अऊर बेलपत्र साथ में,
दूधो भी ले- ले बाटे केहु अपना पात्र में।
एक किलोमीटर लंबी लाइन लगल बा,
तनिको ना देरी केहू के भइल बा।
भक्ति में रमल बा जमीनिया,
इ ह भोले क दुनिया।

मौसम आज क बड़ा खुशगवार बा,
ख़तम आज भईल बुन्नी का इंतज़ार बा।
बूंँद गिरल अईसन की जिया गुलज़ार बा,
सबका ही चेहरा पर हंँसी क बहार बा।
असमनवा चाहे लागल मानो जमीनिया,
इ ह भोले क दुनिया

भोजपुरी गीत-2

गरमी अऊर बरखा

अरे दूर बइठल गर्मी,
रोव तिया हो माई।
अरे आई बरखा,
हमके भगवलस हो माई।

अरे इना आईल रहे तब हम,
बिहसत रहली हो माई।
आई के हमार हंँसी,
छीनस हो माई।

बरखा क दिनवा,
मनवा मोहेला हो माई।
गरमी भगाई के,
जुड़ावेला हो माई।

गर्मी क तपिश ,
सतावेला हो माई।
बरखा क बूनी,
हरसावेला हो माई।

अरे गरमी क दिनवा,
बड़ा घमंडी रहे हो माई ।
चारों ओर आग,
बरसावत रहे हो माई।

अरे बरखा क दिनवा,
बड़ा नीक बा हो माई।
शीतलता से गरमी,
भगवलस हो माई।

हरि गरमी जिया,
हुलसवलस हो माई।
धरती में प्रान फूँक,
दीहलस हो माई।

अरे! बरखा क दिनवा,
बड़ा रोआवेला हो माई।
कीच- काच चारो ओर,
फईलावेले हो माही।

अरे! बरखा क दिनवा ,
जीयरा उबीआवेला हो माई।
माछी, मच्छर, काकरोच,
फईलावेला हो माई।

कबो- कबो बरखा,
मनवाँ भावेला हो माही।
चातक, पपीहा, दादुर,
का धुनवा मनवा भावेला हो माई।

By Sadhana Shahi

A teacher by profession and a hindi poet by heart! Passionate about teaching and expressing through pen and words.

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