हमारे देश में लिंग भेद एक ज्वलंत समस्या है ।यह समस्या स्वस्थ राष्ट्रीयता, तथा महिलाओं के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। वैदिक काल में लिंग भेद जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी स्त्री तथा पुरुष दोनों को उन्नति के समान अवसर प्राप्त थे किंतु उत्तर वैदिक काल से उनकी स्थिति बिगड़ती गई और आज भी यदि कागजों में लिखी बातों को छोड़ दें तो उनकी स्थिति कुछ खास नहीं सुधरी है। अतः उनकी स्थिति को सुधारने, उन्हें उनका मान- सम्मान दिलाने हेतु विज्ञान में लड़कियों और महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्रति वर्ष 11 फरवरी को मनाया जाता है।इस दिवस को मनाने के लिए 22 दिसंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा संकल्प पारित किया गया था।इस दिन को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं और लड़कियों को याद किया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है महिलाओं और लड़कियों के लिए विज्ञान में भागीदारी के लिए पूर्ण और समान पहुॅंच को बढ़ावा
देना है। तो आज11 फरवरी को विज्ञान में महिलाओं और बालिकाओं का अंतरराष्ट्रीय दिवस के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है महिलाओं एवं बालिकाओं को समर्पित एक कविता जिसका शीर्षक है-
अवसर दो महिलाओं, बालिकाओं को
22 दिसंबर 2015 को,
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने लिया संकल्प,
अंतर सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं में भी हो,
बालिकाओं और महिलाओं को विकल्प।
11 फरवरी 2015 का था स्वर्णिम सुप्रभात,
विश्व में महिलाओं और लड़कियों को भी मिला विज्ञान का साथ।
संयुक्त राष्ट्र ने इन के हित में किया एक ऐलान,
विश्व में महिला और लड़कियों का विज्ञान में हिस्सेदारी का दिवस इसे लो जान।
2016 शुभ अवसर था ,
इस दिवस का हुआ शुभारंभ,
ताकि विज्ञान ,प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में,
बालिकाएं भी भर सकें दंभ।
लिंगभेद का सूरज जो चमक रहा है ,
हो जाए वो अस्त ,
स्त्री- पुरुष दोनों करे भागीदारी,
दोनों ही हों आश्वस्त।
देश के विकास की जिम्मेदारी,
ना पुरुष वर्ग मात्र बखानें,
महिलाएं भी अपनी भूमिका को जाने पहचानें।
पूर्वाग्रह से पीछा छूटे,
इनसे मिले निजात ,
खत्म हो लिंगभेद का झगड़ा, खत्म हो सारा फसाद।
मिले उन्हें दीर्घकालिक पेशेवर चौतरफा उन्नति,
छटपटाते महिलाओं बालिकाओं की भी
उत्तरोत्तर हो प्रगति।
बालिकाएं भी इस दिवस पर,
अपनी अप्रयुक्त प्रतिभा को ला सकें,
अपनी प्रतिभा, विद्वता का कर प्रयोग ,
विशाल दुनिया में परचम फैला सकें।
विज्ञान सभा में आठवाॅं विज्ञान में लड़कियों और महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस ,
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय न्यूयॉर्क में होना है तय ,
ताकि सतत विकास, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में बालिकाओं , महिलाओं को भी मिले शह।
प्रतिनिधित्व करें दुनिया की आधी आबादी को ये महिलाएं,
ऐसे में तो आधी क्षमता को इनके भला हम कैसे झूठलाएं!
लैंगिक भेद को दूर करें तो,
वैज्ञानिक बनेंगी ये महिलाएं,
नए- नए आविष्कारों से अपने करतब र्को नित दिखलाएं।
अपनी कार्यक्षमता तराशकर,
संपूर्ण धरा को सुभाषित कर दें,
ना वो हों अबला कभी भी,
ना वो खुद को किसी पर आश्रित कर दें।
जाने अपने आस-पास को, पहचाने पूरे जहान को ,
जो सोचें वो सिद्ध कर सके,
साथी, हमराही मानें विज्ञान को।
राह में कंकड़- पत्थर आए, कभी वो रुकना ना जानें,
तब तक चैन से बैठे हैं ना वो, जब तक 118 मूल तत्वों को ना पहचानें।
साधना शाही, वाराणसी