तेरी विशेष एक सोच हो ,
दुनिया से अलग हो काम।
जीवन में सदा तुझे मिले सफ़लता,
जग में किस्से हों तेरे आम।
हौसला ना कभी तेरा कम हो,
कभी भी ना तेरी आंखें नम हों।
दुख व्यवधान में ना उफ़ तू करना,
चाहे सुख हो चाहे गम हो।
दिल देता तुझे आज बधाई,
मेरे जिया को तू हुलसाई।
समरसता से भरा हो जीवन,
ऋतुराज की रंगत आई।
पतझड़ ना कभी आने पाए,
फूलों सा तू सदा मुस्काए।
आने वाले वक्त में बेटा ,
तू एक नई क्रांति ले आए।
सुख – समृद्धि सदा करे बसेरा,
जहां-जहां तूने पग फेरा।
हाथ जोड़ अरदास करूं मैं,
ईश्वर प्रार्थना सुन लें यह मेरा।
वाह्य खूबसूरती पर ना मरना,
ये मौसमी फूल से आते- जाते।
थोड़े दिन आभा बिखराकर,
फिर वीरान हैं ये कर जाते।
किंतु आंतरिक खूबसूरती
अजर -अमर है,
आजीवन ना फिकी होती।
खुशबू बन प्रकृति में छा जाए,
अमरता का स्वाद चखाती।
साधना शाही, वाराणसी